नेपाल में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच आखिरकार अंतरिम सरकार का गठन हो गया है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार (12 सितंबर)रात नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके शपथग्रहण समारोह में हजारों लोग मौजूद थे, जिनमें वह नाम भी खासा चर्चा में रहा जिसने इस राजनीतिक बदलाव की नींव रखी सुदन गुरुंग ने।
कार्की के शपथ ग्रहण के बाद सामने आई तस्वीरों में सुदन गुरुंग को उनके चरण छूकर आशीर्वाद लेते देखा गया। यह तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और इसे नए नेपाल की शुरुआत का प्रतीक माना जा रहा है।
36 वर्षीय सुदन गुरुंग नेपाल की नई पीढ़ी की आवाज बन चुके हैं। उन्हें देश के युवाओं का नायक कहा जा रहा है। हाल ही में केपी शर्मा ओली सरकार को गिराने वाले विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई गुरुंग और उनके संगठन ‘हामी नेपाल’ ने ही की थी।
ओली सरकार ने कुछ महीने पहले सोशल मीडिया पर बैन लगाने का फैसला किया था। इसी फैसले ने युवाओं में गुस्सा भड़का दिया और गुरुंग के आह्वान पर हजारों युवा सड़कों पर उतर आए। यह आंदोलन इतना प्रबल हुआ कि आखिरकार ओली को पद छोड़ना पड़ा।
गुरुंग खुद को सोशल एक्टिविस्ट बताते हैं। उनका एनजीओ 2020 में रजिस्टर्ड हुआ था और दावा करता है कि वह नेपाल में प्राकृतिक आपदाओं और सामाजिक संकट के समय मदद के लिए खड़ा रहता है। युवाओं में उनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि उनकी एक पुकार पर आंदोलन खड़ा हो जाता है।
भारत ने सुशीला कार्की को नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने पर स्वागत जताया है। नई दिल्ली की ओर से कहा गया, “हम उम्मीद करते हैं कि नेपाल में अब शांति और स्थिरता कायम होगी। करीबी पड़ोसी, लोकतांत्रिक साथी और लंबे समय से विकास साझेदार होने के नाते भारत दोनों देशों की भलाई और समृद्धि के लिए मिलकर काम करता रहेगा।”
कार्की के शपथग्रहण के साथ ही नेपाल की लंबे समय से जारी राजनीतिक अस्थिरता पर विराम लग गया है। कथित भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ हुए युवाओं के प्रदर्शनों ने जहां ओली सरकार को गिरा दिया, वहीं इसने देश की राजनीति में सुदन गुरुंग जैसे युवा नेताओं को नई पहचान दी है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या सुशीला कार्की और सुदन गुरुंग की जोड़ी सचमुच नेपाल को नए युग में ले जा पाएगी।
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