आतिशी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और संविधान निर्माण की प्रक्रिया को याद करते हुए कहा कि अंग्रेजों ने भारतीयों को वोट का अधिकार तो दिया था, लेकिन निर्णय लेने की शक्ति नहीं थी। उन्होंने कहा, “हमारी आजादी लाखों लोगों की कुर्बानियों का परिणाम है। डॉ. भीमराव अंबेडकर के संविधान ने हमें न केवल वोट देने का अधिकार दिया, बल्कि निर्णय लेने की ताकत भी दी।”
उन्होंने इस दौरान लाला लाजपत राय, पंडित मदन मोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरू और विट्ठल भाई पटेल जैसी महान हस्तियों का भी जिक्र किया, जो कभी इसी सदन में बैठकर भारत की आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे। सदन में विधायकों की भूमिका पर जोर देते हुए आतिशी ने कहा कि हर विधायक सिर्फ अपनी पार्टी का नहीं, बल्कि लाखों दिल्लीवासियों का प्रतिनिधित्व करता है।
उन्होंने कहा, “दिल्ली की जनता हम 70 विधायकों की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है। हमें पार्टी की सीमाओं से ऊपर उठकर जनहित के फैसले लेने होंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत उन शुरुआती देशों में से एक था, जिसने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया, जबकि कई विकसित देश तब भी इससे वंचित थे। उन्होंने कहा, “बाबासाहेब अंबेडकर के बनाए संविधान ने हमें वह शक्ति दी, जिससे आज हम यहां बैठकर जनता के लिए फैसले ले सकते हैं।”
अपने संबोधन के अंत में आतिशी ने सभी विधायकों से अपील की कि वे अगले पांच वर्षों में जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरी ईमानदारी और मेहनत से काम करें। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक गरिमा और गर्व की बात नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, जिसे हमें पूरी ईमानदारी से निभाना होगा।”
विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल उत्पल कुमार सिंह ने भी इस मौके पर विधायकों को उनके कर्तव्यों की याद दिलाई और विधानसभा के इतिहास पर प्रकाश डाला।
बिहार सदन: ताली बजाते दिखे सीएम नीतीश, शिक्षा विभाग से जुड़े मुद्दे पर हुआ शोर शराबा!