प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोऑपरेटिव सेक्टर में युवाओं और महिलाओं की अधिक भागीदारी पर जोर दिया और वैश्विक कोऑपरेटिव संस्थाओं के साथ साझेदारी के माध्यम से इस क्षेत्र के विकास की संभावनाओं पर चर्चा की। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अनुसार, इस उच्च स्तरीय बैठक में ‘सहकार से समृद्धि’ को बढ़ावा देने पर विशेष चर्चा हुई। जैविक उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए कोऑपरेटिव संस्थाओं की भूमिका को मजबूत करने पर भी जोर दिया गया।
कृषि क्षेत्र में सुधार और डिजिटल लेनदेन पर बल: प्रधानमंत्री मोदी ने सुझाव दिया कि मृदा परीक्षण मॉडल कोऑपरेटिव संस्थाओं के माध्यम से विकसित किए जाएं, ताकि कृषि पद्धतियों में सुधार हो और निर्यात बाजारों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि यूपीआई को रुपए केसीसी कार्ड से एकीकृत किया जाए, जिससे वित्तीय लेनदेन और अधिक सुविधाजनक बने।
पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को मिलेगा बढ़ावा: प्रधानमंत्री ने कोऑपरेटिव संस्थाओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए उनकी संपत्तियों का दस्तावेजीकरण करने पर बल दिया।
कोऑपरेटिव शिक्षा और युवा भागीदारी: प्रधानमंत्री मोदी ने स्कूलों, कॉलेजों और आईआईएम में कोऑपरेटिव कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव रखा ताकि युवा पीढ़ी इस क्षेत्र में अधिक योगदान दे सके। उन्होंने यह भी कहा कि सफल कोऑपरेटिव संस्थाओं को प्रोत्साहित किया जाए और प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग प्रणाली लागू की जाए, जिससे प्रतिस्पर्धा और विकास को गति मिले।
देश में कोऑपरेटिव सेक्टर की मौजूदा स्थिति: बैठक में यह बताया गया कि देश की 8.2 लाख से अधिक कोऑपरेटिव संस्थाएं 30 से अधिक क्षेत्रों में कार्यरत हैं और इनसे 30 करोड़ से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। इस बैठक में गृह एवं कोऑपरेटिव मंत्री अमित शाह, को ऑपरेटिव मंत्रालय के सचिव आशीष कुमार भूटानी, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा और प्रधान सचिव-2 शक्तिकांत दास मौजूद रहे।
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