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कैसे महिलाओं को आर्थिक विकास में सक्षम बना रही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण!

बड़ा हिस्सा अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग की महिलाओं का भी है — जिनके लिए यह योजना आर्थिक आज़ादी की राह बन चुकी है।

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जब बात भारत में आर्थिक सशक्तिकरण की होती है, तो आज एक नाम अग्रणी रूप से सामने आता है — वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। उन्होंने न सिर्फ देश की वित्तीय नीतियों को नई दिशा दी है, बल्कि महिलाओं के लिए नए अवसरों के दरवाज़े भी खोले हैं। विशेषकर प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के ज़रिए उन्होंने महिलाओं को आर्थिक मुख्यधारा में लाने का जो प्रयास किया है, वो आज फल दे रहा है।

वित्त मंत्री ने हाल ही में खुलासा किया कि पीएम मुद्रा योजना के तहत अब तक स्वीकृत किए गए कुल ऋणों में से लगभग 68 प्रतिशत ऋण महिलाओं को दिए गए हैं। इसका सीधा असर यह पड़ा है कि अब लाखों महिलाएं अपने व्यवसाय की शुरुआत कर रही हैं, आत्मनिर्भर बन रही हैं और स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक आर्थिक गतिविधियों में भागीदारी कर रही हैं।

निर्मला सीतारमण ने यह भी बताया कि महिलाओं के लिए यह योजना न केवल एक आर्थिक सहायता है, बल्कि सशक्तिकरण का मंच भी है। महिला उद्यमियों को इस योजना से प्रेरणा मिल रही है कि वे भी समाज और देश की अर्थव्यवस्था में सक्रिय योगदान दे सकती हैं।

बजट 2024-25 में इस योजना को और आगे बढ़ाने के लिए ‘तरुण-प्लस’ नाम से एक नई श्रेणी शुरू की गई है। इसके तहत वे महिलाएं (और पुरुष भी), जो पहले तरुण श्रेणी में लोन लेकर उसे सफलतापूर्वक चुका चुकी हैं, अब उन्हें ₹10 लाख से ₹20 लाख तक का लोन लेने का अवसर मिलेगा। इससे छोटे व्यवसाय अब मध्यम आकार के बन सकेंगे।

वित्त मंत्री ने बताया कि अब तक देशभर में 52 करोड़ से अधिक मुद्रा लोन अकाउंट खोले जा चुके हैं, जिनमें ₹33.65 लाख करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। इनमें एक बड़ा हिस्सा अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग की महिलाओं का भी है — जिनके लिए यह योजना आर्थिक आज़ादी की राह बन चुकी है।

उनकी अगुवाई में महिलाओं को न केवल लोन तक पहुंच मिली, बल्कि बैंकिंग सिस्टम और वित्तीय ज्ञान तक उनकी भागीदारी भी बढ़ी है। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता में भी इज़ाफा हुआ है।

वित्तीय समावेशन को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाते हुए सीतारमण ने सुनिश्चित किया है कि हर वर्ग, खासकर महिलाएं, बैंकिंग सेवाओं से जुड़ें और अपने सपनों को हकीकत में बदलें। चाहे वो छोटा सा बुटीक हो, घर का कोई किचन बिज़नेस या फिर ऑनलाइन सेवाओं के ज़रिए स्वरोजगार—मुद्रा योजना ने महिलाओं की महत्वाकांक्षा को पंख दिए हैं।

इस दिशा में उनकी पहल ने महिलाओं को महज़ लाभार्थी नहीं, बल्कि परिवर्तन की अगुवाई करने वाला बना दिया है। यही कारण है कि आज देश की आर्थिक तस्वीर में महिलाओं की मौजूदगी पहले से कहीं अधिक दृश्यमान हो रही है — और इसके पीछे एक बड़ी वजह हैं निर्मला सीतारमण की दूरदर्शिता और उनका नारी शक्ति में विश्वास।

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