ठाकरे के विधायकों पर दो हफ्ते तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकती, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है|पार्टी और साइन पर दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी। अदालत ने कहा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रहती है, तब तक ठाकरे समूह द्वारा चिन्ह मशाल को बरकरार रखा जाएगा।
तत्काल सुनवाई से इनकार : चुनाव आयोग ने शुक्रवार को शिंदे गुट को शिवसेना नाम और तीर-धनुष का चुनाव चिन्ह देने का फैसला किया था। इसके तुरंत बाद ठाकरे समूह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग के फैसले पर आपत्ति जताई थी। शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था। उसके बाद आज सुनवाई हुई। दोनों गुटों की ओर से जमकर कहासुनी हुई।
#BREAKING Supreme Court of India issues notice in Uddhav Thackeray's plea challenging the Election Commission of India's order which recognised Eknath Shinde faction as the official Shiv Sena. The court has refused to stay the order at this stage.#ShivSenaCrisis #SupremeCourt pic.twitter.com/Op5ZFxylZw
— Live Law (@LiveLawIndia) February 22, 2023
जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले की आगे सुनवाई नहीं करता है, तब तक अगर केंद्रीय चुनाव आयोग के आधार पर व्हिप जारी किया जाता है, तो यह ठाकरे समूह पर लागू नहीं होगा। शिंदे समूह ने सुप्रीम कोर्ट में आश्वासन दिया है कि वह ठाकरे समूह के विधायकों को व्हिप या अयोग्य घोषित नहीं करेगा।
संपत्ति पर कब्जा मांगा जा सकता है : इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि यह केवल व्हिप तक ही सीमित मुद्दा नहीं है| क्योंकि यह मुद्दा कई मायनों में अहम है। क्योंकि अगर व्हिप को अलग रखा जाता है तो पार्टी की संपत्ति और संपत्ति पर कब्जा मांगा जा सकता है| इसलिए इस फैसले को पूरी प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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