मैराथन बैठकों के बाद लिया गया निर्णय
नई दिल्ली। अब असम की कमान हेमंत बिस्वा शर्मा संभालेंगे। । उन्हें असम बीजेपी के विधायक दल ने अपना नेता चुन लिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसकी जानकारी दी। इससे पहले सर्बानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री थे। उन्होंने राज्यपाल जगदीश मुखी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। हेमंत बिस्वा शर्मा ने भाजपा को पूर्वोत्तर जमाने वाले वह इंसान हैं, जो अपनी बात बेबाकी से रखते हैं। भाजपा को पूर्वोत्तर में नई जमीन मुहैया कराया। तेजतराक नेता शर्मा आज जिस मुकाम पर है उससे कई लोगों को जलन होना आम है। उन्होंने जिस तरह से बीजेपी को एक बाद एक असम में जीत दिलाई वह एक उदाहरण है. बीजेपी में शामिल होने से पहले कांग्रेस में थे. वे जालुकबारी विधानसभा सीट से 15 साल तक विधायक रहे हैं. हालांकि वे कांग्रेसी नेता थे। जहां वे अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद कर रहे थे। बाद उन्होंने पार्टी बदलकर भाजपा में शामिल हो गए।
खेलों से है खास संबंध
असम के जोराहाट में 01 फरवरी 1969 को जन्मे शर्मा की खेलों में खास रूचि है राजनीति में प्रवेश करने से पहले वे कॉटन कॉलेज यूनियन सोसाइटी के महासचिव थे. साल 1996 से 2001 तक वे गौहती उच्च न्यायालय में भी लॉ प्रैक्टिस की थी.साल 2017 में उन्हें भारत के बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था. वह असम बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. जून 2016 में उन्हें असम क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. साल 2002 से साल 2016 तक सेवा करने वाले एसोसिएशन के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं.
हेमंत बिस्व शर्मा की राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू हुई है।
52 साल के हेमंत बिस्वा शर्मा ने 2001 से 2015 तक जालुकबारी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा कायम रखा. 15 साल तक वे इस सीट से विधायक रहे हैं. साल 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी. इसके बाद भी कांग्रेस में उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं मिली, जिसकी वजह से वे गए. इसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। साल 2016 असम में सर्बानंद सोनोवाल और हेमंत बिस्वा सरमा के अथक प्रयास से पहली बार असम में बीजेपी की सरकार बनी.
इस बयान से बटोरी सुर्खियां
कांग्रेस में रहते हुए हेमंत ने कई बार बार राहुल गांधी से मिलने की कोशिश की, लेकिन उन्हें हर बार राहुल से मिलने से रोका गया. इसके बाद वे नाराज होकर बीजेपी में शामिल हो गए. कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने कहा था कि मैंने राहुल से 8-9 बार बात करने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने मेरी बात सुनने से ज्यादा अपने कुत्तों के साथ खेलना बेहतर समझा। अपने आसपास मौजूद लोगों की बात सुनने से ज्यादा वे कुत्तों के साथ खेलने में बिजी रहते हैं। वहीं तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उनकी एक कॉल पर उनको मिलने के लिए समय दे दिया था. उनके प्रयास से एक बार फिर सत्ता में लौटी है।