राज्य सरकार का दावा है कि उसे 54 लाख रिकार्ड मिले हैं। लेकिन ओबीसी समुदाय को यह छिपाकर गुमराह किया जा रहा है कि उनमें से कितने लोगों के पास पहले से ही कुनबी प्रमाण पत्र है और कितने नए लोगों को ऐसे प्रमाण पत्र दिए जाने हैं। मनोज जरांगे के आंदोलन के दबाव में नेशनल ओबीसी फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि अगर मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र दिया गया तो ओबीसी समुदाय सड़कों और मुंबई में आंदोलन करेगा|
राज्य सरकार को 54 लाख रिकॉर्ड मिले हैं| ये 1967 से पहले के हैं| आज की तारीख के लिए कोई प्रविष्टि नहीं है, जिनके पास 1967 से पहले का रिकॉर्ड है| उनके पास पहले से ही कुनबी सर्टिफिकेट है|नागपुर जिले में 2 लाख 35 हजार रिकॉर्ड मिले हैं| इसमें कोई नई प्रविष्टि नहीं है| केवल मराठवाड़ा में 28 हजार प्रविष्टियाँ मिली हैं। वहां भी अधिकांश लोगों के पास पहले से ही कुनबी जाति प्रमाणपत्र है| यदि नए पंजीकरण 1-2 प्रतिशत हैं तो सरकार को नए पंजीकरण की संख्या घोषित करनी चाहिए।
सरकार 54 लाख नई प्रविष्टियां दर्ज कर ओबीसी समाज को गुमराह कर रही है।राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष डाॅ. बबनराव तावडे द्वारा किया गया 5 मई, 2021 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने साबित कर दिया है कि मराठा समुदाय सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा नहीं है।फिर जरांगे कह रहे हैं कि 54 लाख कुनबी रिकॉर्ड मिले हैं सरकार को पहले यह घोषित करना चाहिए कि पूरे 54 लाख अभिलेख किसके हैं और अभिलेखों का वर्गीकरण किया जाए।
साथ ही, महाराष्ट्र सरकार के राजपत्र दिनांक 27 दिसंबर 2023 में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, घुमंतू जनजाति, अन्य पिछड़ा और विशेष पिछड़ा वर्ग (जाति प्रमाण पत्र जारी करने और उनके सत्यापन का विनियमन) अधिनियम, 2000 को निरस्त किया जाना चाहिए। तावडे ने कहा, इसके लिए 7 फरवरी 2024 को गांधी चौक से चंद्रपुर कलेक्टोरेट तक मार्च का आयोजन किया गया है|
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