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Friday, September 20, 2024
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78 वें स्वतंत्रता दिवस पर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से विपक्ष पर कसा तंज!

अपने भाषण में मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के लक्ष्यों और उद्देश्यों का जिक्र किया| साथ ही उन्होंने एक देश एक चुनाव, समान नागरिकता कानून जैसे अहम मुद्दों पर केंद्र सरकार का पक्ष रखा|

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भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये| इस मौके पर हर साल की तरह इस साल भी दिल्ली के लाल किले पर प्रधानमंत्री द्वारा झंडा फहराया गया| लोकसभा चुनाव के बाद स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले भाषण के बाद से ही राजनीतिक हलके में इसे लेकर दिलचस्पी बनी हुई है| अपने भाषण में मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के लक्ष्यों और उद्देश्यों का जिक्र किया| साथ ही उन्होंने एक देश एक चुनाव, समान नागरिकता कानून जैसे अहम मुद्दों पर केंद्र सरकार का पक्ष रखा|

बांग्लादेश के हालात पर टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि वहां हालात जल्द से जल्द सामान्य हो जाएंगे| साथ ही, प्रधानमंत्री ने कोलकाता में सामूहिक बलात्कार मामले के मद्देनजर देशभर में महिला सुरक्षा के मुद्दे पर एक समाज के रूप में हमें जागरूक होने की आवश्यकता व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में अगले 5 वर्षों में देश में 75 हजार मेडिकल शिक्षा सीटें बनाने की घोषणा की। साथ ही मोदी ने प्रस्ताव रखा कि राजनीति में भाई-भतीजावाद को तोड़ने के लिए देशभर से 1 लाख युवाओं को आगे आकर अपनी पसंद की पार्टी में काम करना चाहिए, जिससे नई पीढ़ी राजनीति में आएगी और उसी के अनुरूप नए विचार राजनीति में प्रवेश करेंगे| 

इस देश ने वो दौर भी देखा है जब ये हो जाएगा, ये हो जाएगा, ये हो जाएगा, हम क्यों मेहनत करें, अगली पीढ़ी देखेगी, हमें मौका मिला है, मजा लीजिए, अगली पीढ़ी देखेगी। जाने क्यों लेकिन देश के हालात का माहौल बदल गया था| लोगों कहना बंद करो, अब कुछ नहीं होने वाला। वे कहते थे कि ऐसे ही चलेगा| हम इस मानसिकता को तोड़ना चाहते थे |हमने इसके लिए प्रयास किया|

देश का आम नागरिक बदलाव का इंतज़ार कर रहा था। लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया| इसलिए, वह प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए भी जीवित रहे। हमें जिम्मेदारी दी गई और हमने बड़े सुधार किए। हमने गरीबों, मध्यम वर्ग, वंचितों, शहरी नागरिकों, युवाओं की आकांक्षाओं में बदलाव लाने का रास्ता चुना। सुधार का रास्ता चुना गया है| सुधार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता पिंक पेपर के संपादकीय पक्ष तक सीमित नहीं है। यह 4 दिन की सराहना के लिए नहीं है| यह किसी लापरवाही के कारण नहीं है| यह देश को मजबूत करने के लिए कृतसंकल्प है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे सुधारों का मार्ग एक प्रकार से विकास का ब्लूप्रिंट बन गया है। यह हमारे सुधार विशेषज्ञों के लिए सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है। हमने राजनीतिक इच्छाशक्ति से सुधार नहीं किये हैं। हम राजनीतिक गुणा-भाग के बारे में नहीं सोच रहे हैं| हमारा एक ही संकल्प है,राष्ट्र प्रथम। हम उसी आधार पर फैसले लेते हैं|

बार-बार चुनाव होने से देश का विकास बाधित हो रहा है। किसी भी काम को चुनाव से जोड़ना आसान हो गया है,लेकिन इसके लिए एक समिति ने वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर एक अच्छी रिपोर्ट दी है| मैं देश के राजनीतिक दलों, संविधान प्रेमियों से आग्रह करता हूं कि भारत की प्रगति के लिए एक राष्ट्र, एक चुनाव के सपने को पूरा करने के लिए हमें आगे आना होगा।देश में भाई-भतीजावाद, जातिवाद भारत के लोकतंत्र को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है। हमें देश और राजनीति को भाई-भतीजावाद और जातिवाद से मुक्त कराना है।

हमारा एक लक्ष्य यह है कि हम जल्द से जल्द 1 लाख युवाओं को राजनीतिक रूप से आगे लाना चाहते हैं जिनके परिवार में कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं होगी। ऐसे होनहार युवाओं को राजनीति में आना चाहिए ताकि उन्हें जातिवाद और भाई-भतीजावाद से छुटकारा मिले। वे जिस पार्टी में जाना चाहें जाएं| उन्हें वहां के जन प्रतिनिधि के रूप में आगे आना चाहिए| देश को तय करना होगा कि युवा खून आगे आएगा तो नई सोच आएगी। लोकतंत्र समृद्ध होगा|

समान नागरिक संहिता पर सुप्रीम कोर्ट लगातार सुनवाई कर रहा है। इस पर चर्चा हो चुकी है. इसलिए संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करना हमारा कर्तव्य है। इस पर देश में व्यापक चर्चा होनी चाहिए| इस संबंध में निर्देश सामने आने चाहिए| मैं कहूंगा कि देश में हमने 75 साल सांप्रदायिक नागरिक संहिता में गुजार दिए। अब देश को धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की जरूरत है| तो फिर देश में धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव से कहां छुटकारा मिलेगा|

नागरिकों में कर्तव्य की भावना होनी चाहिए। सरकार से लेकर नागरिकों तक, सभी के कर्तव्य हैं। 140 करोड़ नागरिकों के भी कर्तव्य हैं| यदि हम अपना कर्तव्य निभाते हैं तो अधिकार स्वतः सुरक्षित हो जाते हैं। उसके लिए अलग से प्रयास करने की जरूरत नहीं है|

बांग्लादेश में जो हुआ, उसे लेकर एक पड़ोसी देश के तौर पर मैं चिंता को समझ सकता हूं। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही वहां स्थिति बहाल हो जाएगी|’ मैं विशेष रूप से आशा करता हूं कि वहां के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।’ भारत चाहता है कि उसके पड़ोसी देश सुख और शांति के रास्ते पर चलें। हम आने वाले दिनों में बांग्लादेश की विकास यात्रा के लिए आपको शुभकामनाएं देते हैं|

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