फिर एक बार गलत प्रचार करते दिखे अखिलेश यादव!

2006 की खबर से हिंदू-जैन समाज में सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश!

फिर एक बार गलत प्रचार करते दिखे अखिलेश यादव!

Once again Akhilesh Yadav was seen doing false propaganda!

समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव अपनी गलत प्रचार और गलत ट्वीट्स को लेकर हमेशा आलचकों से घीरे रहते है। उनके झूठे या भ्रामक दावों के साथ ही, गलत तथ्यों का प्रचार करने तक अखिलेश यादव सब कर चुके है। इस बार अखिलेश यादव अपने एक्स हैंडल से पुरानी खबर को लहराकर हिंदू और जैन समुदायों के बीच के सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करते दिखे।

अखिलेश यादव ने अपने अधिकृत एक्स हैंडल से वर्ष 2006 की खबर को तारीख बिना बताए ही पोस्ट कर दिया। दरसल मामला 2006 के गिरनार पर्वत का जिसपर हिंदू-जैन समुदायों में पूजा स्थलों को लेकर विवाद था और गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस पर एक्शन लेते हुए जैन समाज के पूजा-पाठ कार्यक्रमों में बाधा न आए इस बात को सुनिश्चित किया था। इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवाणी ने भी जैन समाज को आश्वस्त किया था। हालांकि समाजवादी पार्टी के नेता ने इस विवाद को उकेर कर दो समुदायों के बिच सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की है ऐसा कहा जा रहा है।

अपने एक्स अकाउंट से किए ट्वीट में समाजवादी पार्टी के नेता हिंदू पक्ष द्वारा रखी अपनी मांग को बहुसंख्यक वाद कहते नजर आरहें है। उन्होंने लिखा, “देश भर के जैन समाज में इस बात को लेकर बेहद आक्रोश है कि उनके पूजा स्थलों और तीर्थों को कुछ बहुसंख्यक प्रभुत्ववादी लोग लगातार अपने क़ब्ज़े में लेते जा रहे हैं। ऐसे कुप्रयासों से शांतिप्रिय, अहिंसक अल्पसंख्यक जैन समाज में चतुर्दिक असंतोष जन्म ले रहा है। एक विशेष दल का राजनीतिक प्रश्रय पाकर जो लोग अपनी पूजा पद्धति और कर्मकांड जैन उपासना स्थलों पर थोपना चाहते हैं, उनकी मंशा जैन समाज समझ रहा है। ये भारत की विविधता के विरूद्ध एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है जिसमें गुजरात के गिरनार से लेकर शिखरजी तक देश भर के कई अन्य जैन तीर्थस्थलों पर भी कुछ लोग कुदृष्टि लगाये बैठे हैं। जैन समाज के तीर्थ स्थलों व मंदिरों को बचाने के लिए सबको एकजुट होना चाहिए। हमारी माँग है कि हर अल्पसंख्यक समाज को अपनी परंपरागत पूजा, उपासना या इबादत का संविधान सम्मत हक़-अधिकार मिलना चाहिए।”

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बात दें की, इससे पहले भी अखिलेश यादव इस प्रकार से भ्रामक ट्वीट कर चुके है। मैनपुरी में चुनावों के दरम्यान मुस्लिम समाज के असामाजिक तत्वों द्वारा पुलिस पर पत्थरबाजी की गई थी, जिस पर पुलिस अधिकारी द्वारा भीड़ को तितर बितर करने के लिए पिस्तौल निकली गई थी, जिसका पूरा वीडिओ आज भी समाज माध्यमों पर मौजूद है। वहीं समाजवादी नेता अखिलेश ने इस देढ मिनट के वीडिओ को महज 28 सेकंद तक काटकर समाज माध्यमों पर फैलाया और पुलिस पर कारवाई की मांग की। इस वाकिए के बाद लोगों ने अखिलेश यादव को पुरे वीडिओ भेजें थे, लेकीन अखिलेश ने भ्रामक वीडिओ फ़ैलाने को लेकर कभी माफ़ी नहीं मांगी।

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