बिहार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर संसद के मानसून सत्र में विपक्ष ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर हमला बोला है। विपक्षी दलों ने SIR को वापस लेने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के जरिए गरीब, दिहाड़ी मजदूर और प्रवासी नागरिकों को वोटिंग अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
कांग्रेस सांसद ने कहा, “बिहार में 62 लाख वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। यह फैसला देश और गरीबों के साथ धोखा है। हम इस अन्याय के खिलाफ राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ते रहेंगे।” उन्होंने संसद की कार्यवाही बाधित होने पर केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “सरकार चर्चा से डर रही है और नेता विपक्ष को बोलने नहीं दे रही।”
कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने इसे सिर्फ कांग्रेस नहीं, पूरे विपक्ष की साझा मांग बताया। उन्होंने कहा, “यह कोई आम मुद्दा नहीं है, बल्कि लोकतंत्र के मूल अधिकारों का हनन है। हम एकजुट होकर SIR पर विरोध कर रहे हैं, और इसकी वापसी की मांग कर रहे हैं।”
इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद सागरिका घोष ने भी चिंता जताते हुए कहा, “SIR की प्रक्रिया में आम नागरिकों, खासकर प्रवासी और दिहाड़ी मजदूरों का नाम सूची से हटाया जा रहा है। यह उनका मताधिकार छीनने जैसा है। हमने इस पर कई नोटिस दिए हैं और हम संसद के अंदर-बाहर विरोध जारी रखेंगे।” समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि उनकी पार्टी जनता के समर्थन से संसद में मजबूती से आवाज उठाएगी और सरकार को यह फैसला वापस लेने के लिए मजबूर करेगी।
विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि SIR के बहाने जनसांख्यिकीय बदलाव की कोशिश की जा रही है, जिससे सरकार को आगामी चुनावों में फायदा हो। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने देशभर में मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान की घोषणा की है। हालांकि बिहार से इसकी शुरुआत ने विवाद को जन्म दे दिया है, जहां विपक्ष का कहना है कि लाखों लोगों के नाम बिना उचित प्रक्रिया के हटाए जा रहे हैं।
बता दें की शुक्रवार (25 जुलाई) को चुनाव आयोग ने संविधानिक अधिकार में मतदाता सूची के शुद्धिकरण के लिए देशव्यापी SIR चलाया जाने की जानकारी दी है।



