22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए इस्लामी आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश है। हमले में 27 हिंदुओ की धर्म पूछ-पूछकर निर्मम हत्या हुई, जिससे घाटी में 2019 के पुलवामा हमले के बाद की सबसे भीषण त्रासदी सामने आई है। इस संवेदनशील घटना के बाद कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी आज श्रीनगर पहुंच रहे हैं। दरम्यान केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ अब तक की सबसे कड़ी कूटनीतिक प्रतिक्रिया दर्ज की है।
राहुल गांधी ने अमेरिका की अपनी दो दिन की आधिकारिक यात्रा पूरी करते हुए गुरुवार (24 अप्रैल)सुबह भारत वापसी की। उनका श्रीनगर दौरा शोक संतप्त परिवारों से मिलने और हालात का जायजा लेने के उद्देश्य से तय हुआ है। विपक्ष की यह सक्रियता, हालांकि प्रतीकात्मक हो सकती है, लेकिन यह दर्शाती है कि राष्ट्रीय आपदाओं में राजनीतिक नेतृत्व को एकजुट होना चाहिए।
सरकार की ओर से कार्रवाई तुरंत शुरू हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति (CCS) की बैठक में यह तय किया गया कि भारत 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करेगा — यह तब तक प्रभावी रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर देश छोड़ने का निर्देश दिया गया है।
भारत ने सार्क वीजा छूट योजना के अंतर्गत दिए गए सभी वीज़ा तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए हैं और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाओं को भी निलंबित कर दिया गया है। विदेश मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि 27 अप्रैल से सभी मौजूदा पाकिस्तानी वीजा अमान्य हो जाएंगे।
पहलगाम हमले की भयावहता ने न केवल सुरक्षा तंत्र को चुनौती दी है, बल्कि यह कूटनीतिक मोर्चे पर भी निर्णायक जवाब की मांग कर रही है। पीड़ित परिवारों ने सरकार से कड़ी कारवाई मांग की है और देशभर में आतंकवाद के खिलाफ एक स्वर में प्रतिक्रिया दर्ज की जा रही है।
अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि राहुल गांधी के दौरे से क्या कोई ठोस संदेश निकलेगा, या फिर यह केवल राजनीतिक औपचारिकता बनकर रह जाएगा, जिसमें राहुल गांधी अपने दौरे के बाद केंद्र सरकार पर सुरक्षा चूक के लिए हमलें करते रहेंगे और धर्म पूछकर इस्लामी हमले करने वाले आतंकियों के समर्थकों पर पर्दा रखा जाएगा।
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