चुनाव ख़त्म होने के बाद भी कौन होगा पाकिस्तान का प्रधानमंत्री? यह तय नहीं है| ऐसी चर्चा है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) प्रमुख नवाज शरीफ केंद्र में सरकार नहीं बनाएंगे। नवाज और शाहबाज शरीफ के बीच गठबंधन सरकार को लेकर चर्चा हुई है|ऐसा लग रहा है कि दोनों नेता गठबंधन सरकार की योजना के साथ सरकार बनाने के मूड में नहीं हैं|
एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि सरकारें बनाने और गिराने में पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई की प्रमुख भूमिका होती है।
चुनाव के बाद नवाज शरीफ ने सौंपी कमान: 8 फरवरी को पाकिस्तान के आम चुनाव के लिए मतदान के बाद 9 फरवरी को नवाज शरीफ ने अपने छोटे भाई और पूर्व प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ को सरकार गठन की योजना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने शहबाज शरीफ को गठबंधन सरकार बनाने के लिए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान और जमात-उल-इस्लामी (फजल) के साथ बैठक करने का निर्देश दिया।
‘पीटीआई को पाकिस्तान सेना की वजह से हार का सामना करना पड़ा’: हाल ही में जमात-उल-इस्लामी (फजल) के अमीर फजल-उर-रहमान ने पाकिस्तानी मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में दावा किया कि पीटीआई को पाकिस्तान सेना की वजह से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, यह पाकिस्तानी सेना ही है जिसने मुझे और नवाज शरीफ को नेशनल असेंबली में विपक्षी दल में बैठने के लिए कहा है।
आईएसआई ने रची इमरान के खिलाफ साजिश: रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के प्रतिनिधियों ने अदियाला जेल में इमरान खान से मुलाकात की। इस बैठक के बाद एक समझौता हुआ, जिसके बाद इमरान ने उमर अयूब खान को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नियुक्त किया| उमर अयूब पीटीआई के महासचिव भी हैं|
उन्होंने इस इंटरव्यू में यह भी दावा किया कि पाकिस्तान के तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल क़मर जावेद बाजवा ने फैज़ हमीद के साथ-साथ पाकिस्तान के राजनीतिक दलों को इमरान खान को सत्ता से हटाने का निर्देश दिया था। फज़ल ने कहा कि मैं पक्ष में नहीं था, लेकिन मैंने उनका समर्थन किया, क्योंकि अगर मैं निर्देशों के खिलाफ जाता, तो पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट कहता कि मैंने इमरान खान को बचाया।
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