जैसे ही 5 अगस्त नज़दीक आया है देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर सियासी सरगर्मी के केंद्र में है। मानसून सत्र के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा रविवार (3 अगस्त) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अलग-अलग मुलाकातों ने राजनीतिक हलकों में कयासों का तूफान खड़ा कर दिया है। दोनों नेताओं की यह मुलाकात ऐसे वक्त हुई है जब संसद में 8 अहम विधेयकों पर चर्चा चल रही है, और विपक्ष के तेवर बिहार के SIR विवाद को लेकर तीखे हैं।
लेकिन असली आकर्षण 5 अगस्त की तारीख को लेकर है, यह वही तारीख है जब प्रधानमंत्री मोदी भारत के नए युग की शुरुआत कहते आए हैं। 2019 में इसी दिन अनुच्छेद 370 को हटाया गया था और 2020 में अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन हुआ था। इन दोनों निर्णयों के साथ मोदी सरकार ने इतिहास की भूल को सुधारने की ओर कदम बढ़ाए थे।
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त कर दिया था। इसके साथ ही राज्य का पुनर्गठन करते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। यह फैसला राष्ट्रीय एकता की दिशा में बड़ा कदम साबित हुआ, वहीं विपक्ष इसे संघीय ढांचे पर हमला कहती रही लेकीन कुछ खास नहीं कर पायी।
इसके ठीक एक साल बाद, 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखी। यह भाजपा के वैचारिक और सांस्कृतिक एजेंडे की जीत थी। इस दिन को “सांस्कृतिक पुनर्जागरण” के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
जब दो बड़े उदाहरण सामने हों तब प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह की राष्ट्रपति से एक ही दिन हुई मुलाकातों को सिर्फ शिष्टाचार भेंट कहकर टाला नहीं जा सकता। खासकर संसद के मौजूदा मानसून सत्र में आठ विधेयक पारित होने की कतार में हो तब। इन आठ विधेयकों में नया आयकर विधेयक, जन विश्वास अधिनियम संशोधन, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, और राष्ट्रीय डोपिंग विरोध संशोधन विधेयक जैसे अहम कानून शामिल हैं।
सूत्रों का कहना है कि इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार तेजी से काम कर रही है और 5 अगस्त को इनमें से कुछ को पारित करवाकर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में पेश कर सकती है। इसके अलावा समान नागरी संहिता से जुड़ा अहम् मुद्दा भी जो पकड़ चूका है, जिससे देश में सभी मत-पंथो के लिए समान सीविल कानून लागु होंगे।
विपक्षी इंडी गठबंधन पहले ही बिहार SIR विवाद, जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन सिंदूर और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को लेकर सरकार पर हमला कर रहा है। लेकिन अब उनके सामने एक और चुनौती खड़ी हो गई है, क्या सरकार 5 अगस्त को फिर से एक बड़े राजनीतिक संदेश की तैयारी में है?
क्या 5 अगस्त 2025 को एक बार फिर कोई बड़ा विधायी या प्रशासनिक फैसला आने वाला है? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अलग-अलग हुई मुलाकातें महज संयोग थीं, या इसके पीछे कोई नई रणनीति छिपी है? संसद के मानसून सत्र में पेश किए जा रहे 8 अहम विधेयकों में क्या कोई ऐसा है जो मौजूदा व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकता है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर कल सामने आ सकते हैं, इसीलिए देश की निगाहें पूरी तरह 5 अगस्त पर टिक चुकी हैं।
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