भीषण बाढ़ से प्रभावित पंजाब के गुरदासपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 सितंबर को का दौरा करेंगे, किसानों और ग्रामीणों से मुलाकात करेंगे। इस दौरान पीएम राहत एवं पुनर्वास कार्यों की समीक्षा करेंगे और प्रभावित परिवारों के बीच जाकर उनका हालचाल जानेंगे। भाजपा पंजाब ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर जानकारी दी, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 सितंबर को गुरदासपुर, पंजाब आ रहे हैं। वे बाढ़ से प्रभावित भाइयों-बहनों और किसानों से सीधे मिलकर उनका दुख साझा करेंगे और हर संभव मदद का आश्वासन देंगे।”
सरकारी सूत्रों के अनुसार, मोदी इस दौरे में न केवल तत्काल राहत उपायों पर ध्यान देंगे बल्कि दीर्घकालिक रणनीति पर भी जोर देंगे। इनमें खेतों से गाद हटाना, बीमारियों की रोकथाम और बाढ़ का पानी उतरने के बाद मरे हुए पशुओं का सुरक्षित निस्तारण शामिल है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर नदियों के कमजोर पड़ चुके तटबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता पर विशेष रूप से जोर देंगे। इन तटबंधों की हालत अवैध खनन और रखरखाव की कमी से बिगड़ी है। मोदी इस मुद्दे पर व्यापक बाढ़ नियंत्रण योजना की नींव रखने वाले हैं, जिसमें वाजपेयी-बादल दौर की पहल को आगे बढ़ाते हुए नए आपदा प्रबंधन उपाय शामिल किए जाएंगे।
पंजाब सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, इस बाढ़ में अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है और 23 जिलों के 1,900 से अधिक गांव जलमग्न हो गए हैं। करीब 1.71 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई है। बड़े पैमाने पर कृषि भूमि अब भी पानी में डूबी हुई है, नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और कई राष्ट्रीय राजमार्ग भूस्खलन और जलभराव के कारण अवरुद्ध हैं।
केंद्र सरकार ने भरोसा दिलाया है कि पंजाब को इस आपदा में अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। राहत और पुनर्वास कार्य केंद्र व राज्य सरकार के समन्वित प्रयासों से आगे बढ़ेंगे ताकि जमीनी स्तर तक मदद पहुंचे।
मोदी आने वाले दिनों में हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे अन्य बाढ़ प्रभावित राज्यों का भी दौरा करेंगे। हिमाचल में 20 जून से अब तक 95 फ्लैश फ्लड, 45 बादल फटने की घटनाएं और 132 बड़े भूस्खलन दर्ज हुए हैं। राज्य में 355 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 3,787 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया है। इसी तरह, कश्मीर घाटी देश से कट गई है क्योंकि जम्मू-श्रीनगर हाईवे सहित कई अहम सड़कें भूस्खलन और कटाव से बंद हैं। पीएम मोदी का यह दौरा न सिर्फ पंजाब बल्कि पूरे उत्तरी भारत में बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए राहत और दीर्घकालिक पुनर्वास रणनीति का रोडमैप तय करने वाला साबित हो सकता है।
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