प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय बजट 2026–27 से पहले बुधवार को नीति आयोग में अर्थशास्त्रियों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ एक अहम विचार-विमर्श किया। प्रधानमंत्री ने इस बैठक को “अंतर्दृष्टिपूर्ण” बताते हुए कहा कि इसमें ‘आत्मनिर्भरता और संरचनात्मक परिवर्तन: विकसित भारत का एजेंडा’ विषय पर महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए। बैठक के दौरान पीएम मोदी ने दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में मिशन-मोड सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “कल अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ एक ज्ञानवर्धक बातचीत हुई। उन्होंने ‘आत्मनिर्भरता और संरचनात्मक परिवर्तन: विकसित भारत के लिए एजेंडा’ विषय से संबंधित बहुमूल्य विचार साझा किए।'”उन्होंने कहा कि 2047 तक विकसित भारत का सपना अब केवल सरकारी नीति तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह एक व्यापक जनआकांक्षा बन चुका है।
बैठक में प्रधानमंत्री ने अर्थशास्त्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह बदलाव शिक्षा, उपभोग और वैश्विक गतिशीलता के बदलते पैटर्न में साफ नजर आता है। उन्होंने कहा कि एक अधिक आकांक्षी समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए संस्थागत क्षमता में वृद्धि और अग्रिम बुनियादी ढांचा योजना बेहद जरूरी है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि नीतिनिर्माण और बजट प्रक्रिया को 2047 के विकसित भारत के दृष्टिकोण से जोड़कर रखना होगा।
Had an insightful interaction with economists and experts yesterday. They shared valuable perspectives relating to the theme of ‘Aatmanirbharta and Structural Transformation: Agenda for Viksit Bharat.’https://t.co/dSOvpyBImM https://t.co/Tn25Izt7ww pic.twitter.com/evJvfwE7mV
— Narendra Modi (@narendramodi) December 31, 2025
आधिकारिक बयान के अनुसार, पीएम मोदी ने वैश्विक क्षमताओं के निर्माण और अंतरराष्ट्रीय एकीकरण को हासिल करने के लिए मिशन-मोड सुधारों की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक कार्यबल और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए एक प्रमुख केंद्र बनाए रखना जरूरी है। इस दिशा में श्रम, कौशल विकास और औद्योगिक नीति में तालमेल को अहम बताया गया।
बैठक में मौजूद अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए रणनीतिक सुझाव साझा किए। चर्चा का फोकस संरचनात्मक परिवर्तन को तेज करने पर रहा, जिसमें घरेलू बचत बढ़ाने, मजबूत बुनियादी ढांचे के निर्माण और अत्याधुनिक तकनीक को अपनाने पर जोर दिया गया।
विशेषज्ञों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाने वाले एक प्रमुख साधन के रूप में रेखांकित किया। इसके साथ ही भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के निरंतर विस्तार और स्केलिंग पर भी चर्चा हुई। आधिकारिक बयान में कहा गया कि प्रतिभागियों ने इस बात पर सहमति जताई कि 2025 में हुए व्यापक क्रॉस-सेक्टर सुधारों की श्रृंखला और आने वाले वर्ष में उनका सुदृढ़ीकरण भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में बनाए रखने में मदद करेगा।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मजबूत बुनियादी ढांचा, तकनीकी नवाचार और संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से भारत न केवल अपने आर्थिक आधार को मजबूत करेगा, बल्कि नए अवसरों को भी खोलेगा। प्री-बजट बैठक में सामने आए सुझावों को आगामी केंद्रीय बजट में नीति निर्धारण के लिए अहम इनपुट के रूप में देखा जा रहा है।
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