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Tuesday, March 18, 2025
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पीएम मोदी: महाकुंभ पर दिए बयान की स्वामी अवधेशानंद-प्रमोद कृष्णम ने की तारीफ!

कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम और जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने प्रतिक्रिया दी है।

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लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए महाकुंभ को लेकर दिए गए बयान पर कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम और जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने संसद में पीएम मोदी के बयान और महाकुंभ के सफल आयोजन को लेकर जमकर प्रशंसा की।

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर स्वामी अवधेशानंद गिरि के पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए लिखा, ”महाकुंभ के महा-पर्व की ”महान” सफलता की बधाई, एवं प्रधानमंत्री जी के सारगर्भित “उद्बोधन” हेतु साधुवाद।

स्वामी अवधेशानंद गिरि ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”भारत की कालजयी मृत्युंजयी सनातन वैदिक संस्कृति एवं उसके आध्यात्मिक प्रतिमानों की दिव्य अभिव्यक्ति महाकुंभ प्रयागराज का दिव्य आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है।

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सद्संकल्प से इस दिव्य आयोजन ने संपूर्ण विश्व पटल पर भारत की अमिट पहचान बनाई है। महाकुंभ भारतीय संस्कृति का गौरवशाली प्रतिबिंब है। जहां श्रद्धा-त्याग, तप, एकात्मता और समग्र विश्व के कल्याण के भाव सहज रूप से साकार दिखाई देते हैं।
आप विचार करिए एक माह की सूक्ष्म अवधि में प्रयागराज जैसे सीमित सुविधाओं से युक्त नगर में 66 करोड़ से अधिक लोग स्वप्रेरणा एवं आत्मानुशासन से आत्मोत्द्धार व विश्व कल्याण की भावना के साथ एकत्रित हुए। विश्व इतिहास में आपको ऐसे आयोजन या अवसर नहीं दिखेंगे जहां इतना बड़ा जन समूह शांतिपूर्ण ढंग से एकत्रित हुआ हो।”

उन्होंने आगे लिखा, ”सनातन वैदिक हिंदू धर्म संस्कृति के अनुयायी हम भारतीय आध्यात्मिक प्राणी हैं, हमारे अंत:करण में भगवदीय विधान के प्रति स्वीकृति है और वृत्तियां पारमार्थिक हैं। हम प्रत्येक प्राणी के हित का चिंतन करते हैं।

हमारी आस्था प्रकृति और उसके समस्त अवयवों जैसे जल, पवन, प्राण और प्रकाश आदि में है। जिस संस्कृति में धरती को मां और अन्न जल को देवता माना गया हो और जिसने प्राणी मात्र में ईश्वर के दर्शन की सद्प्रेरणा समस्त विश्व को दी हो वहीं महाकुंभ जैसे भव्य-दिव्य व लोकोपकारी आयोजनों का सृजन कर सकती है।
आस्था और दिव्यता का यह अनुपम प्रवाह अनादि काल से निरंतर गतिमान है। जब हमारे राष्ट्र में विधर्मियों का शासन था तब हमारी संस्कृति पर कितने प्रहार हुए, किंतु हमारी आस्था और विश्वास अविच्छिन्न है। हम चिरंतन हैं। महाकुंभ कोई सामान्य आयोजन नहीं था अपितु यह आयोजन भारत के आध्यात्मिक वैभव और उसकी श्रेष्ठता का प्रतिमान था।

स्वामी अवधेशानंद ने लिखा,” धर्म धरा प्रयागराज के इस अद्वितीय आयोजन ने संपूर्ण विश्व को एकता-समरसता और समन्वय का अद्भुत संदेश दिया है। महाकुंभ प्रयागराज के इस भव्य आयोजन ने भारत की एकता व सामाजिक समरसता के भावों को अधिक पुष्ट किया।

परमात्मा के अनुग्रह से महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए भारतीय संस्कृति के ज्योतिर्धर भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के पवित्र संकल्प एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोरक्षपीठाधीश्वर पूज्य योगी आदित्यनाथ के प्रचंड पुरुषार्थ से महाकुंभ सकुशल संपन्न हुआ। ईश्वरीय सत्ता के सतत् अनुग्रह के प्रति सादर कृतज्ञता।”

बता दें कि महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी तक 45 दिनों तक चला। संगम नगरी प्रयागराज में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।

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