प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (7 नवंबर) को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्षभर चलने वाले राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ किया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने स्मारक डाक टिकट और स्मारक सिक्का भी जारी किया। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री और उपस्थित लोगों ने ‘वंदे मातरम्’ के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गायन भी किया। यह कार्यक्रम पूरे देश में 7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026 तक आयोजित होने वाले राष्ट्रीय स्मरण और सांस्कृतिक पुनरुद्धार के अभियान की शुरुआत का प्रतीक है।
सरकार ने इस अवसर को केवल एक औपचारिक आयोजन के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना, एकता और गौरव के व्यापक उत्सव के रूप में देखने की घोषणा की है। इस मौके पर एक विशेष डिजिटल पोर्टल भी लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य गीत के इतिहास, अर्थ और स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है। सरकार की अपील पर महानगरों से लेकर गाँवों तक नागरिकों को सामूहिक स्वर में ‘वंदे मातरम्’ गाने के लिए प्रेरित किया गया, ताकि पूरे देश में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना प्रत्यक्षतः महसूस की जा सके।
केंद्र सरकार की ओर से जारी विवरण के अनुसार, 7 नवंबर से पूरे देश में विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहाँ लोगों को एक साथ खड़े होकर इस गीत के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम के मूल आदर्शों को स्मरण करने का आग्रह किया जाएगा। इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने भी राष्ट्रीय गीत के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 7 नवंबर से 26 नवंबर (संविधान दिवस) तक विशेष जन-भागीदारी कार्यक्रम चलाने की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों को जनता तक दोबारा जीवंत करना है। पार्टी का कहना है कि इन कार्यक्रमों को युवा, परिवार और समुदाय स्तर तक ले जाकर ‘वंदे मातरम्’ की भावना को जनचेतना में और गहराई से स्थापित किया जाएगा।
‘वंदे मातरम्’ की रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवंबर 1875 (अक्षय नवमी) के दिन की थी। यह पहली बार उनके साहित्यिक पत्र ‘बंगदर्शन’ में प्रकाशित हुआ और बाद में उनके उपन्यास ‘आनंदमठ’ का हिस्सा बना। इस गीत में मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता के रूप में व्यक्त किया गया है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यह गीत जनजागरण, बलिदान और आत्मसम्मान का प्रतीक बन गया और भारतीय राष्ट्र-भावना का स्वर बनकर गूंजा। इसीलिए इसे 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया गया।
150 वर्ष पूरे होने के इस क्षण को केंद्र सरकार जन-आस्था और राष्ट्रीय भावना के सम्मेलन के रूप में देख रही है—एक ऐसा अवसर, जब इतिहास केवल याद नहीं किया जाएगा, बल्कि जीया जाएगा।
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