28 C
Mumbai
Friday, April 11, 2025
होमदेश दुनियाविदेश यात्राओं में पीएम मोदी का बौद्ध धर्म पर जोर!

विदेश यात्राओं में पीएम मोदी का बौद्ध धर्म पर जोर!

बल्कि इसके पीछे एक स्पष्ट सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रणनीति है जो भारत की वैश्विक छवि को गढ़ने का कार्य करती है।

Google News Follow

Related

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं में बौद्ध धर्म और उसकी विरासत को दिया जाने वाला महत्व लगातार चर्चा में है। शुक्रवार को थाई प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा के साथ पीएम मोदी ने बैंकॉक के प्रसिद्ध ‘वाट फो’ बौद्ध मंदिर का दौरा किया। इसके बाद वे श्रीलंका रवाना होंगे, जहां अनुराधापुरा स्थित महाबोधि मंदिर में वे श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी की बौद्ध कूटनीति केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक स्पष्ट सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रणनीति है जो भारत की वैश्विक छवि को गढ़ने का कार्य करती है। उनके नेतृत्व में भारत ने बौद्ध धर्म को वैश्विक संवाद और कूटनीति का माध्यम बनाया है।

पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बौद्ध कूटनीति को भारत की विदेश नीति का एक सशक्त माध्यम बनाया है। वर्ष 2024 में, उन्होंने लाओस के राष्ट्रपति को एक प्राचीन बुद्ध प्रतिमा भेंट की, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इसी वर्ष, भारत ने भगवान बुद्ध और उनके प्रमुख शिष्यों – अरहंत सारिपुत्त और महा मोग्गलाना – के पवित्र अवशेष थाईलैंड भेजे, जहां उन्हें 25 दिनों तक चार प्रमुख शहरों में प्रदर्शित किया गया।
2023 में, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली स्थित बुद्ध जयंती पार्क में बाल बोधि वृक्ष का दौरा किया और भारत ने पहला वैश्विक बौद्ध सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें समकालीन समस्याओं के समाधान हेतु बौद्ध दर्शन की भूमिका पर चर्चा हुई।
2022 में, पीएम मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर नेपाल के लुंबिनी की यात्रा की और वहां अंतरराष्ट्रीय बौद्ध केंद्र की आधारशिला रखी। इसी वर्ष, भारत ने ‘कपिलवस्तु अवशेष’ मंगोलिया भेजे, जिनका 11 दिनों तक उलानबटार स्थित गंदन मठ परिसर में भव्य प्रदर्शन हुआ।
वर्ष 2019 से 2015 के बीच, प्रधानमंत्री मोदी ने मंगोलिया, श्रीलंका, सिंगापुर, चीन, जापान और वियतनाम जैसे देशों में बौद्ध स्थलों का दौरा किया। इन यात्राओं ने भारत और इन देशों के बीच सांस्कृतिक व आध्यात्मिक रिश्तों को और अधिक प्रगाढ़ किया। इन सभी पहलुओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं में बौद्ध धर्म एक सशक्त सांस्कृतिक सेतु के रूप में कार्य करता है, जो भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ को मजबूती प्रदान करता है।

घरेलू स्तर पर, मोदी सरकार ने ‘बौद्ध सर्किट’ विकसित कर प्रमुख तीर्थ स्थलों को जोड़ा। ‘महापरिनिर्वाण एक्सप्रेस’ ट्रेन और कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से तीर्थ यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलीं। पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा और नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार ने भारत की बौद्ध शिक्षण परंपरा को फिर से स्थापित किया।

पीएम मोदी का यह प्रयास न केवल भारत की ऐतिहासिक विरासत को पुनर्जीवित करता है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत को एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नेतृत्वकर्ता के रूप में प्रस्तुत करता है। बुद्ध के शांति, करुणा और संवाद के संदेश को दुनिया के सामने रखने की यह मुहिम भारत की सॉफ्ट पावर को नई दिशा दे रही है।

यह भी पढ़ें:

एलओसी पर तनाव बढ़ने से हीरानगर के ग्रामीणों में दहशत, फसलें बर्बाद होने का डर

उत्तर प्रदेश: 50 साल पहले इस्लाम अपनाने वाले 10 मुसलमान घर लौटे!

धड़ाम से गिरा शेयर मार्केट: सप्ताह के आखरी दिन कारोबारियों को झटका !

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,151फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
241,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें