कैथोलिक ख्रिस्ती धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के निधन की खबर ने समूचे विश्व को गहरे शोक में डुबो दिया है। भारत सरकार ने भी इस अपूरणीय क्षति पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए पूरे देश में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। गृह मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि “महामहिम पोप फ्रांसिस, सर्वोच्च धर्मगुरु का सोमवार, 21 अप्रैल 2025 को निधन हो गया।” इसके साथ ही मंत्रालय ने बताया कि शोक की यह अवधि 22 और 23 अप्रैल को लागू रहेगी, जबकि तीसरा दिन पोप के अंतिम संस्कार के साथ चिह्नित किया जाएगा।
इन तीन दिनों के दौरान भारतभर में उन सभी सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा, जहां यह नियमित रूप से फहराया जाता है। साथ ही किसी भी प्रकार का आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम नहीं आयोजित किया जाएगा। यह कदम केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि उस वैश्विक सम्मान का प्रतीक है, जो भारत जैसे विविधताओं वाले देश में भी पोप फ्रांसिस को दिया जा रहा है।
पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोलियो था, मार्च 2013 में पोप बने थे और वे पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे। उन्होंने अपनी पूरी सेवा-काल में न केवल ईसाई धर्म को आधुनिक संदर्भों से जोड़ा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, गरीबों की आवाज़ और सामाजिक न्याय के लिए भी वैश्विक मंच पर प्रभावशाली भूमिका निभाई। वे एक ऐसे धर्मगुरु थे जिन्होंने वेटिकन की दीवारों से बाहर निकलकर हाशिए पर खड़े लोगों की पीड़ा को अपने आलिंगन में लिया।
“रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी नेता पोप फ्रांसिस का निधन हो गया था।” वेटिकन द्वारा जारी यह वीडियो संदेश जितना भावुक था, उतना ही सजीव था उनका संघर्ष—किडनी की बीमारी, वेंटिलेटर से वापसी और अंत में डबल निमोनिया की चपेट में आना। 88 वर्षीय पोप ने बीमारी से जूझते हुए भी अपनी विनम्र मुस्कान और मानवता की सेवा से पीछे हटने का नाम नहीं लिया।
भारत के कई नेताओं, संगठनों और चर्चों के पादरियों ने उनके निधन पर शोक प्रकट किया है। भारत कैथोलिक ख्रिस्ती समाज के लिए पोप फ्रांसिस की स्मृति को नमन करते हुए विश्व बंधुत्व और सेवा के अपने संदेश पर खरा उतरा है।
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