प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 120वें एपिसोड में जल संरक्षण को राष्ट्रीय आवश्यकता करार दिया। उन्होंने जलशक्ति मंत्रालय की विभिन्न पहलों की सराहना करते हुए देशभर में जल बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला।
प्रधानमंत्री ने कहा, “गर्मी का मौसम शुरू होते ही शहर-शहर, गांव-गांव, पानी बचाने की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं। अनेक राज्यों में वाटर हार्वेस्टिंग से जुड़े कामों ने, जल संरक्षण से जुड़े कामों ने नई तेजी पकड़ी है। जलशक्ति मंत्रालय और अलग-अलग स्वयंसेवी संस्थाएं इस दिशा में काम कर रही हैं।”
पीएम मोदी ने जल संरक्षण के लिए किए जा रहे उपायों का जिक्र करते हुए कहा, “देश में हजारों कृत्रिम तालाब, चेक डेम, बोरवेल रिचार्ज, कम्युनिटी सॉक पिट का निर्माण हो रहा है। हर साल की तरह इस बार भी ‘कैच द रेन’ अभियान के लिए कमर कस ली गई है। ये अभियान भी सरकार का नहीं बल्कि समाज का है, जनता-जनार्दन का है।” उन्होंने जल संचयन में जन भागीदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि “जो प्राकृतिक संसाधन हमें मिले हैं, उसे हमें अगली पीढ़ी तक सही-सलामत पहुंचाना है।”
प्रधानमंत्री ने वर्षा जल संचयन के महत्व को समझाने के लिए आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, “पिछले कुछ सालों में इस अभियान के तहत देश के कई हिस्सों में जल संरक्षण के अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। मैं आपको एक दिलचस्प आंकड़ा देता हूं, पिछले 7-8 साल में नए बने टैंक, तालाब और अन्य जल रिचार्ज संरचनाओं से 11 बिलियन क्यूबिक मीटर उससे भी ज्यादा पानी का संरक्षण हुआ है।” उन्होंने इसे और स्पष्ट करते हुए कहा, “अब आप सोचेंगे कि 11 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी कितना पानी होता है?”
प्रधानमंत्री ने तुलना करते हुए कहा, “भाखड़ा नांगल बांध में जो पानी जमा होता है, उसकी तस्वीरें तो आपने जरूर देखी होंगी। ये पानी गोविंद सागर झील का निर्माण करता है। इस झील की लंबाई ही 90 किलोमीटर से ज्यादा है। इस झील में भी 9-10 बिलियन क्यूबिक मीटर से ज्यादा पानी संरक्षित नहीं हो सकता है। और देशवासियों ने अपने छोटे-छोटे प्रयास से, देश के अलग-अलग हिस्सों में 11 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी के संरक्षण का इंतजाम कर दिया है – है ना ये शानदार प्रयास!”
प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के गडग जिले के लोगों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “कुछ साल पहले यहां के दो गांव की झीलें पूरी तरह सूख गईं। एक समय ऐसा भी आया जब वहां पशुओं के पीने के लिए भी पानी नहीं बचा। धीरे-धीरे झील घास-फूस और झाड़ियों से भर गई। लेकिन गांव के कुछ लोगों ने झील को पुनर्जीवित करने का फैसला किया और काम में जुट गए।”
पीएम मोदी ने बताया कि “गांव के लोगों के प्रयासों को देखकर आसपास की सामाजिक संस्थाएं भी उनसे जुड़ गईं। सब लोगों ने मिलकर कचरा और कीचड़ साफ किया और कुछ समय बाद झील वाली जगह बिल्कुल साफ हो गई। अब लोगों को इंतजार है बारिश के मौसम का।”
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प्रधानमंत्री ने इस उदाहरण को ‘कैच द रेन’ अभियान का एक शानदार उदाहरण बताया और कहा, “आप भी सामुदायिक स्तर पर ऐसे प्रयासों से जुड़ सकते हैं। इस जन-आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए आप अभी से योजना जरूर बनाइए, और आपको एक और बात याद रखनी है – हो सके तो गर्मियों में अपने घर के आगे मटके में ठंडा जल जरूर रखिए। घर की छत पर या बरामदे में भी पक्षियों के लिए पानी रखिए। देखिएगा, ये पुण्य कार्य करके आपको कितना अच्छा लगेगा।”