पुणे उपचुनाव: पुणे में होगा उपचुनाव? भाजपा की तरफ से 5 नाम चर्चा में !
पुणे लोकसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी की ओर से 5 नामों पर चर्चा हो रही है। गिरीश बापट की बहू स्वरदा बापट, संजय काकड़े, पूर्व मेयर मुरलीधर मोहोल, जगदीश मुलिक और कोथरूड की पूर्व विधायक मेधा कुलकर्णी के नाम चर्चा में हैं| भाजपा इन पांच लोगों में से किसी एक को उम्मीदवार के तौर पर मौका देगी|
Team News Danka
Published on: Sat 01st April 2023, 05:45 PM
सांसद गिरीश बापट के निधन के बाद खाली हुई सीट पर उपचुनाव होने की संभावना है। इसलिए, यदि उनकी रिक्त सीट पर उपचुनाव की घोषणा की जाती है, तो नामांकन वास्तव में किसे मिलेगा? इसने राजनीतिक क्षेत्र का ध्यान आकर्षित किया है। ऐसे में भाजपा कुछ हद तक चुनाव की तैयारी में जुट गई है| गिरीश बापट की जगह लेने के लिए उम्मीदवारों के तौर पर पांच नामों पर चर्चा हो रही है। इन पांचों ने पुणे के विकास के लिए प्रयास किया है।
पुणे लोकसभा उपचुनाव के लिए भाजपा की ओर से 5 नामों पर चर्चा हो रही है। गिरीश बापट की बहू स्वरदा बापट, संजय काकड़े, पूर्व मेयर मुरलीधर मोहोल, जगदीश मुलिक और कोथरूड की पूर्व विधायक मेधा कुलकर्णी के नाम चर्चा में हैं| भाजपा इन पांच लोगों में से किसी एक को उम्मीदवार के तौर पर मौका देगी, लेकिन इन पांचों लोगों ने पुणे के विकास के लिए कई नए प्रोजेक्ट हाथ में लिए हैं| इसके अलावा, उन्होंने पुणे में भी अन्य विषयों पर केंद्रीय स्तर पर अपना नाम बनाया है। इसलिए देखना होगा कि भाजपा किसे मौका देगी।
प्रत्याशी चयन की चुनौती… : गिरीश बापट के निधन के बाद खाली हुई सीट पर अगर चुनाव होता है तो भाजपा और महाविकास अघाड़ी के लिए प्रत्याशी चयन बड़ी चुनौती होगी| विधानसभा के दौरान दोनों पार्टियों के सामने प्रत्याशी चयन की चुनौती थी। फिर भाजपा द्वारा उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस या महाविकास अघाड़ी से उम्मीदवार की घोषणा की गई| पार्टी ने विपक्ष के प्रत्याशी को देखकर रणनीति बनाई थी।
लेकिन जब तक उम्मीदवार तय नहीं हो जाता, तब तक राजनीतिक गतिविधियां धीमी थीं। इसी तरह इस बार भी तस्वीर देखने को मिल सकती है। कुछ नामों की चर्चा भाजपा की तरफ से शुरू हो गई है और चूंकि यह सीट कांग्रेस की है तो कुछ नामों की चर्चा कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी की तरफ से भी हो रही है| इसलिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि किस पार्टी द्वारा किस उम्मीदवार को दिया जाता है उसमें जाति और धर्म के अनुसार उम्मीदवार तय किया जा सकता है या नहीं।
अगर उपचुनाव की घोषणा होती है तो बापट के परिवार के किसी सदस्य को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। बेटे गौरव बापट या बहू स्वरदा बापट को उम्मीदवारी मिल सकती है। लेकिन गौरव राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं हैं इसलिए स्वरदा के नाम पर विचार किया जा सकता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि बापट के घर पर प्रत्याशी उतारे जाने पर ही चुनाव निर्विरोध हो सकता है।