पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के शासन में लुधियाना पुलिस ने 30 नवंबर को एंटी-खालिस्तानी कार्यकर्ता अर्शदीप सिंग सैनी को गिरफ्तार कर लिया। सैनी पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट की, जिसमें लुधियाना में अवैध बांग्लादेशियों के बढ़ते प्रवास और इससे हो रहे जनसांख्यिकीय बदलाव की ओर संकेत किया गया था। पुलिस ने बुधवार (3 दिसंबर) को उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्हें समाज में वैमनस्य और असहमति पैदा करने वाली सामग्री पोस्ट करने के चलते गिरफ्तार किया गया है।
अर्शदीप सिंग सैनी 2014 में UK से वापस आए थे, पंजाब के रूपनगर जिले में रह रहे थे और पर उनके लगभग 13,000 फॉलोअर्स हैं। वे खुद को “रामदास, राष्ट्रवादी और हिंदू सिख बताते हैं।
27 नवंबर को की गई उनकी पोस्ट को बाद में हटा दिया गया, जिसमें उन्होंने लिखा था कि लुधियाना में अवैध बांग्लादेशियों की संख्या बढ़ रही है। यह बांग्लदेशी स्थानीय व्यवसायों खासकर फल-सब्ज़ी और अन्य दिहाड़ी के कामों पर कब्ज़ा करते जा रहे हैं। उन्होंने शहर में बढ़ती मस्जिदों का भी उल्लेख करते हुए कहा कि यह जनसांख्यिकीय बदलाव का संकेत है।
इस पोस्ट के बाद 28 नवंबर को लुधियाना साइबर क्राइम पुलिस ने सैनी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत FIR दर्ज की। लुधियाना पुलिस आयुक्त स्वपन शर्मा ने मीडिया से कहा कि सैनी लंबे समय से X पर उत्तेजक, सांप्रदायिक और समाज में वैमनस्य फैलाने वाली पोस्टें साझा कर रहे थे। पुलिस का आरोप है कि सैनी की गतिविधियाँ ISI-संबद्ध टूलकिट का हिस्सा लगती हैं, जिनका उद्देश्य पंजाब में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाना था।
पुलिस आयुक्त ने यह भी कहा कि शुरुआती जांच में सैनी के कंटेंट को कई धार्मिक समूह को लक्षित करता पाया गया और उनके फॉलोअर्स की प्रोफाइल एक योजनाबद्ध रणनीति की ओर इशारा करती हैं, जो समाज में घृणा फैलाने का प्रयास करती है।
गिरफ्तारी से पहले अर्शदीप सिंग सैनी एंटी-इंडिया और खालिस्तानी तत्वों को सोशल मीडिया पर बेनकाब करने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने 30 नवंबर को एक पोस्ट में US-आधारित खालिस्तानी JS धालीवाल की पाकिस्तान समर्थक टिप्पणी का विरोध भी किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था,“भारत द्वारा पाकिस्तान से सिंध छीन लेने पर खालिस्तानियों के नितंबों में तेज दर्द होने का क्या कारण हो सकता है?”
इस पूरे मामले ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, साइबर कानूनों के उपयोग और पंजाब में उभरते संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक बहस को और तीखा कर दिया है।
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