क्या फिर से अकाली दल और भाजपा का गठजोड़ होगा? इसको लेकर सियासत के गलियारे में चर्चा खूब चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद पंजाब में नई सियासी सुगबुगाहट शुरू हो गई है। अकाली दल ने इसी मुद्दे पर पहले केंद्र सरकार में हरसिमरत बादल ने मंत्री पद छोड़ा, फिर सुखबीर बादल ने 24 साल पुराने गठबंधन को तोड़ दिया था।
अब नई सियासी चर्चा यह भी है कि क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह भी साथ में जुड़ेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि अमरिंदर खुले तौर पर भाजपा से सीट शेयरिंग की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने कानून रद्द होने की घोषणा होते ही कहा कि भाजपा से पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए हर हाल में गठबंधन करेंगे।
अगर अकाली दल और भाजपा जुड़ती है तो फिर कैप्टन भी इस गठजोड़ का हिस्सा बन सकते हैं। पंजाब के सियासी हालात देखें तो अकाली दल, भाजपा और कैप्टन अमरिंदर सिंह एक-दूसरे की सियासी जरूरत हैं। अकाली दल सिखों की पंथक पार्टी मानी जाती है। ऐसे में हिंदू वोट बैंक में उनको मुश्किल होती है। उनके पास कोई बड़ा हिंदू चेहरा भी नहीं है। वहीं, भाजपा का शहरी व हिंदू वोट बैंक में अच्छी पकड़ है।
अमरिंदर सिंह पंजाब की सियासत के दिग्गज हैं। उनका गांवों के साथ शहरों में भी अच्छा आधार है। हालांकि अब वह कांग्रेस छोड़ चुके हैं। उनके पास पंजाब में संगठन नहीं है। ऐसे में उन्हें भी पूरे पंजाब में अपना दबदबा बनाए रखने और बढ़ाने के लिए सहारे की जरूरत है। अगर यह तीनों साथ मिलते हैं तो यह सियासत का मजबूत कॉकटेल हो सकता है।