पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार के अंतिम चरण में सभी सियासी दलों ने पूरी ताकत लगाते दिखाई दे रहे हैं। BJP ने प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 3 रैलियां रखी हैं। कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने स्वयं अपने हाथों में पंजाब चुनाव प्रसार-प्रचार का जिम्मा लिया हुआ है। वही आम आदमी पार्टी के सुप्रीमों अरविंद केजरीवाल भी 18 फरवरी यानी चुनाव प्रचार समाप्त होने वाले दिन तक पंजाब में ही रहेंगे। 20 फरवरी, जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, पंजाब की सियासी तस्वीर भी कुछ-कुछ साफ होने लगी है।
पंजाब के विधानसभा की 117 सीटों में से ज्यादातर पर त्रिकोणीय या आमने-सामने की नजर आ रही है। एक और बड़ी बात ये कि कांग्रेस पार्टी की सीटें घट सकती हैं। कांग्रेस के पंजाब प्रधान नवजोत सिद्धू खुद अपनी सीट पर फंसे नजर आ रहे हैं। किसान संगठनों का संयुक्त समाज मोर्चा (SSM) की वजह से सबसे ज्यादा दिक्कत आम आदमी पार्टी (AAP) को हो रही है। AAP का पंजाब के ग्रामीण वोटरों पर असर साफ नजर आता है।
अकाली दल इस चुनाव में भाजपा की जगह बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ गठजोड़ करके मैदान में उतरा है और दोनों ही दलों के पास खोने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। पार्टी का प्रदर्शन 2017 में बेहद खराब रहा था और वह विपक्षी दल तक का दर्जा हासिल नहीं कर पाई।वही ग्रामीण क्षेत्रों में उनके पारंपरिक वोट बैंक में AAP सेंध लगाती दिख रही है।
BJP की सीटें इस चुनाव में बढ़ेंगी। पंजाब में पहली बार बड़े भाई की भूमिका में चुनाव लड़ रही पार्टी शहरी सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करेगी। 3 से 4 लेवल पर होने वाले वोट डिवीजन का फायदा भी पार्टी को मिलेगा। इस चुनाव में BJP शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ अपने सहयोगी कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव सिंह ढींडसा की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में भी पैठ बनाने जा रही है
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