पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा में सिविल अस्पताल के मुर्दाघर में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी घुस आए और वहां रखे कई शवों को अपने साथ ले गए। माना जा रहा है कि ये शव बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के लड़ाकों के थे, जिन्होंने हाल ही में बोलन में जाफर एक्सप्रेस यात्री ट्रेन पर हमला किया था।
सिविल अस्पताल के बाहर यह प्रदर्शन बलूच अधिकार कार्यकर्ता महरंग बलूच के नेतृत्व वाली बलूच यकजेहती कमेटी (बीवाईसी) ने आयोजित किया था। प्रदर्शनकारी लापता व्यक्तियों के परिवारों के साथ अस्पताल पहुंचे और अधिकारियों से शवों की पहचान करने की अनुमति देने की मांग करने लगे।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने जबरन मुर्दाघर में घुसकर कम से कम पांच शवों को अपने कब्जे में ले लिया। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि उन्होंने शवों की पहचान करने के बाद उन्हें लिया या नहीं।
स्थानीय प्रशासन ने पुष्टि की है कि ये शव जाफर एक्सप्रेस पर हमला करने वाले आतंकवादियों के थे, जो सैन्य अभियान में मारे गए थे। प्रांतीय सरकार के एक अधिकारी ने कहा, “जो लाशें ले जाई गईं, वे उन आतंकियों की थीं, जो जाफर एक्सप्रेस पर हमले के बाद सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारे गए थे।”
बीवाईसी कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना की पुष्टि की और बताया कि प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल के मुर्दाघर से कई शव अपने साथ ले गए। संगठन के एक सदस्य ने कहा, “हम लापता लोगों के परिवारों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे थे कि वहां रखे शव उनके प्रियजनों के नहीं हैं।”
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क्वेटा पुलिस ने शहर के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी कर तीन शव बरामद किए हैं। सूत्रों के अनुसार, सरियाब रोड और सचिवालय चौक पर कार्रवाई की गई, जिसमें कई लोगों को हिरासत में लिया गया। बलूचिस्तान में लापता लोगों के मुद्दे को लेकर बीवाईसी और उसकी प्रमुख महरंग बलूच की भूमिका की जांच की जा रही है। उन पर बीएलए के साथ गठजोड़ करने और सैन्य प्रतिष्ठान व सरकारी नीतियों के खिलाफ माहौल बनाने का आरोप है।