विधायक राकेश सिंह ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, “मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं और अब आजादी के साथ बातें कर सकूंगा। हालांकि, मैं पहले भी बातें रखता था, लेकिन तब मुझे बागी कहा जाता था। अब मैं पूरी आजादी के साथ बात कह सकूंगा। कोई मुझे बागी कहने की हिम्मत नहीं करेगा।” उन्होंने कहा कि सपा सिर्फ परिवार को आगे बढ़ाना चाहती है।
सपा के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि जिन्हें निर्णय लेना था, उन्हें तुरंत निर्णय लेना चाहिए था। पार्टी से निष्कासित किए जाने का फैसला लेने में इतनी देरी क्यों की? उन्होंने सपा के ‘पीडीए’ का मतलब है ‘परिवार विकास प्राधिकरण’ बताते हुए कटाक्ष किया।
उल्लेखनीय है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अक्सर पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) की बात करते हैं और इस पार्टी की राजनीति का मुख्य आधार बताते हैं।
विधायक मनोज कुमार पांडेय ने कहा, “मैं सपा के शीर्ष नेतृत्व से पूछना चाहता हूं कि मैं तो एक साल से इस दल में नहीं था। मैंने तो एक साल पहले भाजपा ज्वाइन कर ली थी। ऐसे में सपा का यह कैसा निष्कासन हुआ?”
उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश की जनता जानती है, जब श्री राम का सवाल आया तो मैंने जनता की बात सुनी और जनता भगवान श्री राम के साथ थी।
उन्होंने कहा, “मैं किसी के सहयोग से विधायक नहीं हूं। मेरी विधानसभा की देवतुल्य जनता ने मुझे अपना असीम प्रेम दिया है। इसीलिए, मैं उनकी सेवा में लगातार तत्पर हूं। मेरी जनता मेरे साथ चट्टान के साथ खड़ी है। अत्याचार के खिलाफ मैं अपनी बातों को रखता रहा हूं और आगे भी रखूंगा।”
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