RSS: मोहन भागवत का यह बयान कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढने की जरूरत नहीं है!

पांचजन्य ने यह भी कहा कि यह मीडिया के लिए एक ट्रेंड या मसाले की तरह है|साथ ही ऐसी खबरों से क्या संदेश जा रहा है? परिणाम क्या होंगे? क्या आपने इस पर विचार किया है? ऐसा सवाल भी उठाया गया है|

RSS: मोहन भागवत का यह बयान कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढने की जरूरत नहीं है!

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक बयान दिया था,जो काफी चर्चा में रहा था| इसके बाद उनकी आलोचना भी हुई थी| उधर, पांचजन्य की ओर से मोहन भागवत की भूमिका का समर्थन किया गया है| कुछ दिन पहले सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंदिरों को लेकर एक बयान दिया था| मीडिया में विवाद दिखने के बाद कई लोगों ने जानबूझकर विवाद खड़ा किया और पब्लिसिटी बटोरी|

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक बयान दिया था. जो काफी चर्चा में रहा था|इसके बाद उनकी आलोचना भी हुई थी|उधर, पांचजन्य की ओर से मोहन भागवत की भूमिका का समर्थन किया गया है| इस मुद्दे पर हर दिन नई प्रतिक्रिया आ रही है| मोहन भागवत की बातों को एक खिलाड़ी के नजरिये से और व्यापक नजरिये से समझना चाहिए, लेकिन ऐसा हुए बिना ही उन पर आलोचनाओं की बौछार हो गई। इन सबका इस्तेमाल राजनीति के लिए किया गया|

भारत ने सदैव एकता का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है: हमारा देश भारत अनेकता में एकता का पक्षधर देश है। पिछले हजारों वर्षों में भारत ने जिस तरह की एकता दिखाई और आत्मसात की है, उसकी दुनिया में कोई मिसाल नहीं है।ऐसे देश में मंदिरों का महत्व न केवल धार्मिक है बल्कि ऐतिहासिक और सामाजिक मूल्यों को भी संरक्षित करता है। सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान उनकी अंतरात्मा का परिचय है|

पांचजन्य का तर्क है कि इसे गहरे परिप्रेक्ष्य से देखा जाना चाहिए। मोहन भागवत ने मंदिर के मुद्दे से आगे बढ़कर राजनीति पर गौर करने का सुझाव दिया|एक समाज के रूप में हम छिपे हुए मंदिरों की तलाश करने और उपेक्षित मंदिरों की उपेक्षा करने की प्रवृत्ति को क्या कहते हैं?

भारत के हर कोने में ऐतिहासिक स्मारक: भारत के हर कोने में हमारे पास ऐतिहासिक कोने और अल्पज्ञात मंदिर हैं। कई जगहों पर टूटी हुई मूर्तियां हैं| ये सभी चीजें हमारी विरासत हैं| ये मंदिर न केवल पूजा स्थल हैं बल्कि हमारे समय की स्मृति भी हैं।

भारत पर अनेक आक्रमण हुए। उस समय मंदिरों पर भी आक्रमण किये गये। ये मंदिर, जो अब खंडहर हो चुके हैं, तर्क के जीवित संग्रहालय हैं, इतिहास की आवाज़ें हैं। पाञ्चजन्य में यह भी कहा गया है कि नई पीढ़ी को इस पर गर्व होना चाहिए। मोहन भागवत ने कहा था कि हर मस्जिद में मंदिर ढूंढने की जरूरत नहीं है, जिसके बाद उनकी आलोचना हुई थी, लेकिन कहा जा रहा है कि पांचजन्य में उनका रोल सही है|

इसने राजनीति करना शुरू कर दिया है, समुदायों को भड़काना शुरू कर दिया है, हिंदू मंदिरों को बचाने की आड़ में खुद को सर्वोच्च हिंदू के रूप में पेश करने की कोशिश की है। इसलिए मंदिरों की तलाश की जाती है| पांचजन्य ने यह भी कहा कि यह मीडिया के लिए एक ट्रेंड या मसाले की तरह है|साथ ही ऐसी खबरों से क्या संदेश जा रहा है? परिणाम क्या होंगे? क्या आपने इस पर विचार किया है? ऐसा सवाल भी उठाया गया है|

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