महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष का विवाद सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है| सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इस पर सुनवाई कर रही है| इसी तरह पिछली सुनवाई में शिंदे गुट के वकीलों ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि ठाकरे गुट के विधायकों को व्हिप जारी नहीं किया जाएंगे और अयोग्य ठहराने की कार्रवाई नहीं की जाएगी| इसके बावजूद आरोप है कि शिंदे समूह ने ठाकरे समूह को व्हिप जारी कर अदालत के निर्देशों का उल्लंघन किया है। इस पर वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञ उज्ज्वल निकम ने अपनी राय व्यक्त की|
विधानसभा उपचुनाव : उज्ज्वल निकम ने कहा, “शिंदे समूह के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट आश्वासन दिया था कि जब तक अदालत इस मामले में कोई आदेश नहीं देती, हम ठाकरे समूह को व्हिप जारी नहीं करेंगे| साथ ही ठाकरे गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई नहीं की जाएगी। क्योंकि चुनाव आयोग ने खुद कस्बा और चिंचवाड़ विधानसभा उपचुनाव संपन्न होने तक शिवसेना पार्टी और आधिकारिक सिंबल पर फैसले पर रोक लगा दी थी|
“आयोग ने स्वयं स्वीकार किया कि दोनों समूह अलग-अलग हैं” : इसका अर्थ यह है कि आज शिवसेना के दो समूह अर्थात् ठाकरे समूह और शिंदे समूह हैं, आयोग ने स्वयं स्वीकार किया है कि दोनों अलग-अलग हैं। व्हिप किस पर लागू होगा, इसका फैसला 2 मार्च को उपचुनाव के नतीजे आने के बाद लिया जा सकता है।
कानून विशेषज्ञ : कानून विशेषज्ञ उज्ज्वल निकम ने यह भी कहा कि शिंदे समूह द्वारा खींचा गया व्हिप विधान सभा में खींचा गया प्रतीत नहीं होता है, यह व्हिप विधान परिषद में खींचा गया है। अगर विधान परिषद में व्हिप आधिकारिक शिवसेना पार्टी द्वारा खींचा जाता है, तो यह सुप्रीम कोर्ट के सामने एक नई चुनौती प्रस्तुत करेगा|
यह भी पढ़ें-
शतरंज टूर्नामेंट में 1600 बच्चों ने लिया हिस्सा: आनंद महिंद्रा ने कहा, ‘ये है मैग्नस कार्लसन…’!