देश को आजादी मिलने के वक्त 14 अगस्त की रात 11 बजे संविधान सभा की बैठक वंदे मातरम से शुरू हुई थी। सुचेता कृपलानी ने यह राष्ट्र गीत गया था। पर स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के मौके पर वोट बैंक राजनीति के लिए वंदे मातरम का विरोध करने वाले भी हैं। महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के एक अच्छी पहल का मुस्लिम संगठनों के साथ साथ शिवसेना और एनसीपी, कांग्रेस के नेता विरोध कर रहे हैं। इसके पहले मुनगंटीवार ने कहा था कि अब से सरकारी कर्मचारी फोन पर वार्तालाप शुरू करने से पहले हेल्लो की जगह वंदे मातरम बोलेंगे।
खुद को हिंदूवादी कहने वाली उद्धव ठाकरे की शिवसेना को भाजपा शिवसेना सरकार का यह फैसला रास नहीं आया है। सरकार के फैसले को लेकर शिवसेना सांसद ने बीजेपी पर दिखावा करने का आरोप लगाते हुए शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि अगर वंदे मातरम बोलना है तो कश्मीर में बोलने के लिए कहा जाए। महबूबा मुफ्ती को वंदे मातरम बोलने को कहा जाए, बीजेपी हिंदुत्व का दिखावा ना करे।
रजा एकेडमी के अध्यक्ष सईद नूरी ने कहा कि हमारे लिए सिर्फ अल्लाह पूजनीय हैं। कोई दूसरा विकल्प दीजिए जो सभी को मान्य हो। उनका कहना है कि वो उलेमाओं के साथ चर्चा कर सरकार को पत्र लिखेंगे। इस बीच मुनगंटीवार ने कहा है कि यह अनिवार्य आदेश नहीं है। वंदे मातरम बोलने के लिए सलाह दी गई है।
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