चुनाव आयोग ने शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे के बीच चल रही उठापटक के बड़ा फैसला दिया है। आयोग ने कहा है कि शिवसेना का चुनाव चिन्ह ‘धनुष बाण’ शिंदे गुट के पास ही रहेगा। बता दें कि शिवसेना से अलग होकर चालीस विधायकों ने बीजेपी के साथ जाकर सरकार बनाई थी। जिसके बाद शिंदे गुट का दावा था कि बाला साहेब ठाकरे के विचारों वाली असली शिवसेना वह है। इसके बाद यह मामला चुनाव आयोग के पास था। राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने पाया कि शिवसेना का संविधान अलोकतांत्रिक है।
आयोग ने कहा कि शिवसेना में बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है। जो अलोकतांत्रिक है। इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास पैदा करने में नाकाम रहती है। चुनाव आयोग ने सभी पार्टी को सलाह दी है कि वे लोकतान्त्रिक लोकाचार और पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को प्रतिबिंबित करें। इसके चुनाव आयोग ने कहा कि पार्टी इसके बारे में सभी जानकारी पार्टी की वेबसाइट पर प्रकाशित करें।
आयोग ने कहा कि शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों गुपचुप तरीके से वापस लाया गया। जिससे पार्टी निजी जागीर के सामान बन गई। इन तरीकों को 1999 में आयोग ने ख़ारिज कर चुका है। अब माना जा रहा है कि चुनाव आयोग के इस निर्णय से शिवसेना पर से उद्धव ठाकरे की दावेदारी हमेशा के लिए खत्म हो गई है।
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