आखिर वही जो लोग कह रहे थे। कांग्रेस ने सिद्धारमैया को ही कर्नाटक का सीएम बनाया। चार दिन से चल रहे खींचातान के बीच आया फैसला कांग्रेस के लिए तात्कालिक सुकून देने वाला हो सकता है लेकिन भविष्य में कांग्रेस का यान निर्णय पानी पीला पिलाकर मारेगा जैसा कि आज वर्तमान में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हो रहा है। कर्नाटक चुनाव में जिस तरह से फ्रंट पर थी लेकिन सीएम चुनाव बड़ी सुरक्षात्मक तरीके के साथ चुनी जो उसके लिये घातक है।
गौरतलब है कि बुधवार को एक बार खबर आई थी कि सिद्धारमैया कर्नाटक का सीएम बनाया जाएगा। इसके बाद कर्नाटक में सिद्धारमैया के आवास पर फटाके भी फोड़े गए। मगर कुछ समय के बाद ही रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है। अभी किसी के नाम सीएम पद के लिए तय नहीं किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था बीजेपी द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों पर ध्यान न दे। हालांकि, इस दौरान सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की कांग्रेस के आलाकमान से बातचीत होती रही है।
बताया जा रहा है कि यह निर्णय बुधवार देर रात लिया गया। शिवकुमार न डिप्टी सीएम का ऑफर स्वीकर कर रहे थे न ही कि दो से तीन साल के फार्मूले पर सहमति बन रही थी। बताया जा रहा है कि इसके बाद डीके शिवकुमार से सोनिया गांधी ने बात तो उन्होंने हां कर दी। कहा जा रहा है कि डीके को उनके पार्टी द्वारा दिए गए इमोशनल बयान को ही आधार बनाकर उन्हें मनाया गया है। यानी दूसरे भाषा में यह भी कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने डीके शिवकुमार पर “इमोशनल अत्याचार” किया है।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस निर्णय के पीछे कांग्रेस की रणनीति है। माना जा रहा है कि कांग्रेस में ये सभी निर्णय 2024 के लोकसभा चुनाव को देते हुए लिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 20 मई को कांग्रेस का शपथ समारोह होगा, अगर कांग्रेस के भविष्य की बात करें तो पार्टी में कुर्सी की लड़ाई लंबे समय से है। और यह एक राज्य में नहीं बल्कि सभी राज्यों में सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस इन मुद्दों को सुलझाने के बजाय उलझाती रही है।
ऐसा ही राजस्थान में भी हुआ था। जब 2018 में कांग्रेस ने राजस्थान में जीत दर्ज की थी। तब सचिन पायलट राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष थे। कहा जा रहा था कि उन्हें सीएम बनाया जाएगा क्योंकि पायलट ने राजस्थान में काम किया था और उनकी वजह से ही पार्टी सत्ता में लौटी थी। लेकिन, तमाम माथापच्ची के बाद अशोक गहलोत को सीएम बनाया गया था। यहां कांग्रेस ने जो दलील दी है वह अजीब है। उस समय भी कांग्रेस ने नए नेता को सीएम बनाने के बजाय अनुभवी नेता को प्राथमिकता दी थी। जो कांग्रेस का सुरक्षात्मक रवैया है। माना जाता है कि कांग्रेस बीजेपी से मुकाबला के लिए पुराने नेताओं को तवज्जो देती रही है। जिसका नतीजा टकराव से शुरू होता है। उस समय भी 2019 के लोकसभा चुनाव को ही देखते हुए अशोक गहलोत को सीएम बनाया गया था।
एक बार फिर कर्नाटक में कांग्रेस ने वही खेल खेला है। जो राजस्थान में खेला था। कर्नाटक में पार्टी को खड़ा करने में डीके शिवकुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्हें प्रदेश का अध्यक्ष भी बनाया गया था। शिवकुमार ने पार्टी के लिए खूब काम किया। कहा जा रहा है कि यही कारण था कि पार्टी कर्नाटक में जीत दर्ज की। लेकिन, जब पार्टी को सीएम का चुनाव करने का समय आया तो पार्टी ने पुराने नेता यानी अनुभवी नेता को प्राथमिकता दी। इस बार भी 2024 के लोकसभा चुनाव का हौवा खड़ा कर सिद्धारमैया को सीएम कुर्सी सौंपी गई है। कहा जा रहा है कि सिद्धारमैया को सीएम बनाकर कांग्रेस दलित,आदिवासीऔर पिछड़े समुदाय को साधकर लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करना चाहती है।
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