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SIR के बाद ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी; तमिलनाडु में 97.3 लाख और गुजरात में 73.7 लाख नाम हटे

मृत्यु और प्रवास प्रमुख कारण

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विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के फेज़-2 के तहत तमिलनाडु और गुजरात की ड्राफ्ट मतदाता सूचियां जारी कर दी गई हैं। चुनाव आयोग (ECI) के अनुसार, इस प्रक्रिया के बाद तमिलनाडु में 97.3 लाख मतदाता नाम हटाए गए हैं, जबकि गुजरात में 73.7 लाख नाम मतदाता सूची से बाहर किए गए हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि नाम हटाए जाने के मुख्य कारण मतदाताओं की मृत्यु, स्थान परिवर्तन (माइग्रेशन) और एक से अधिक स्थानों पर पंजीकरण पाए जाना है।

ड्राफ्ट सूची के जारी होने के बाद तमिलनाडु में कुल मतदाताओं की संख्या 6.4 करोड़ से घटकर 5.4 करोड़ रह गई है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में करीब 1.2 करोड़ मतदाताओं को ‘लॉजिकल डिस्क्रेपेंसी’ यानी तार्किक विसंगतियों के चलते नोटिस जारी किए जाने हैं। इन मामलों में मतदाताओं से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, तमिलनाडु में हटाए गए नामों में 26.9 लाख मतदाता ऐसे पाए गए, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। वहीं, 66.4 लाख मतदाता या तो दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित हो चुके हैं या सत्यापन के दौरान अपने पते पर नहीं पाए गए। इसके अलावा, करीब 4 लाख नाम ऐसे थे, जो एक से अधिक जगहों पर पंजीकृत पाए गए, जिसके चलते उन्हें सूची से हटाया गया।

गुजरात की बात करें तो वहां मतदाताओं की संख्या 5.1 करोड़ से घटकर 4.3 करोड़ रह गई है। गुजरात में 18.1 लाख मतदाताओं की मृत्यु की पुष्टि हुई है, जबकि 51.8 लाख मतदाता स्थानांतरित पाए गए या सत्यापन के समय अनुपस्थित रहे। इसके अलावा, 3.8 लाख नाम दो या उससे अधिक स्थानों पर नामांकन के कारण काटे गए हैं।

चुनाव आयोग ने बताया कि ‘लॉजिकल डिस्क्रेपेंसी’ के मामलों में कई तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं। इनमें एक ही अभिभावक से छह से अधिक संतानों का लिंक होना, माता-पिता और संतान के बीच 15 वर्ष से कम या 50 वर्ष से अधिक आयु का अंतर, दादा-दादी और पोते-पोतियों के बीच 40 वर्ष से कम का आयु अंतर, और इसी तरह की अन्य विसंगतियां शामिल हैं। ऐसे मामलों में मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त जांच की जा रही है।

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि ड्राफ्ट सूची अंतिम नहीं है। मतदाता स्वयं या किसी भी राजनीतिक दल के बूथ लेवल एजेंट (BLA) 18 जनवरी तक दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं। इन दावों और आपत्तियों के निपटारे के बाद ही अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। चुनाव आयोग का कहना है कि एसआईआर अभ्यास का उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक, पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाना है, ताकि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे।

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