Ambition:उत्तर प्रदेश की राजनीति से ‘विदा’ ले रही हैं प्रियंका गांधी,पर राज क्या है?

Ambition:उत्तर प्रदेश की राजनीति से ‘विदा’ ले रही हैं प्रियंका गांधी,पर राज क्या है?

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राष्ट्रीय स्तर पर उभरना चाहती हैं प्रियंका गांधी। देश के सबसे बड़े राज्य की राजनीति से ले रही हैं ‘विदा’

राजनीति में अपने आसपास लोगों की भीड़ देखकर ही लोग अपने को नेता कहते हैं। अब तो समय बदल गया है। सोशल मीडिया पर जितने लोग आपको फॉलो करने वाले होंगे, उतने बड़े नेता होंगे आप। ऐसा ही अब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को लगने लगा है। जब से वे असम केरल, पुंडेचेरी आदि राज्यों में चुनाव के दौरान जन सभाओं को संबोधित की तब उन्हें लगा वे अखिल भारतीय राजनेता के तौर उभर सकती हैं।

ख़बरों की माने तो प्रियंका गांधी वाड्रा ने अब उत्तर प्रदेश से ‘संन्यास ‘ लेने वाली हैं। यानी वे अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाथ पांव नहीं चलाएंगी। इसके भी कारण गिनाये जा रहे हैं कहा जा रहा है कि अपनी लोकप्रियता को देखते हुए अब वे राज्य तक सीमित नहीं रहना चाहती हैं। ख़बरों में कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा हर छोटी-मोटी बातों पर उत्तर प्रदेश के योगी सरकार की आलोचना करते नहीं थकती थी,लेकिन अब वे इससे बाहर आना चाहती हैं। अभी उसमें कमी नहीं आई। अब उन्हें लगने लगा है कि यहां बेवजह की मेहनत की जा रही है। हालांकि इस संबंध में अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं गई है।

पिछले दिनों खबर आई थी कि प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में ही अब रहेंगी। लेकिन पंचायत चुनाव में मिली करारी हार से उन्हें लगने लगा है कि यहां कुछ नहीं होने वाला। हां, इतना जरूर है कि जहां भी प्रियंका गांधी जाती हैं वहां मीडिया में कवरेज मिल जाती है लेकिन कोई बदलाव नहीं हो रहा है। खबर ये भी है की कांग्रेस एक बार फिर समाजवादी पार्टी और रालोद के साथ मिलकर एक नया समीकरण बनाने वाली है। हालांकि यह दूर की कौड़ी है।

उत्तर प्रदेश से बाहर निकलना कांग्रेस के लिए घातक ही होगा,जिस तरह से कांग्रेस ने यहां अपने को मजबूत किया है। इतना ही नहीं, प्रियंका वाड्रा अगर अखिल भारतीय स्तर की नेता  के तौर पर उभरने की महत्वकांक्षा सही है, लेकिन सबसे पहले उन्हें राहुल गांधी और उनकी टीम से दो चार होना पड़ेगा। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी को जो लोग ये सलाह दी है वे जमीनी स्तर से जुड़े नहीं हैं, जैसा की राहुल गांधी से जुड़े लोग अराजनीतिक हैं। बहरहाल,यह तो कयास है। देखते हैं आगे क्या होता है।

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