आम उपभोक्ताओं की जेब में हाथ डालकर निजी क्षेत्र को लाभ दिलाने के लिए कोयले की कृत्रिम कमी निर्माण कर, बिजली समस्या उत्पन्न करने का षडयंत्र आघाडी सरकार ने रचा है। प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने यह आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि स्वार्थी प्रवृत्ति के कारण आम बिजली उपभोक्ताओं पर भारनियमन का संकट आ गया है। योजनाबद्ध तरीके से कमी का निर्माण करके कीमत बढ़ाकर इसके माध्यम से पैसा जमा करने का यह दांव है, ऐसी टिप्पणी भी उन्होंने की।
भाजपा ने कहा कि कोयले की कमी के कारण परमाणु विद्युत परियोजना में बिजली का निर्माण कम हुआ है ऐसा कारण बताया जा रहा है तब भी इसमें आघाडी सरकार और महानिर्मिती कंपनी की नीतिविहीन कामकाज की जवाबदेही होने पर भी इसका नुकसान दरवृद्धि के रूप में आम उपभोक्ताओं पर लादने वाली सरकार कितनी मानवता शून्य है, ऐसा भी श्री केशव उपाध्ये ने कहा। पहले से ही भारनियमन और अनियमित बिजली की आपूर्ति के कारण ग्रामीण भाग के किसान बेहद परेशान हैं। समय पर और गारंटी से बिजली की आपूर्ति नहीं होने से खेत की फसलों का पानी के अभाव में नुकसान होगा ऐसी चिंता से किसान ग्रसित है। रात में कभी भी अनियमित रूप से होनेवाली बिजली आपूर्ति के कारण किसान परिवारों की नींद उड़ी है। अब सरकार द्वारा सीधे-सीधे भारनियमन लादने से आम बिजली उपभोक्ताओं की भी नींद उड़ गई है, ऐसा आरोप उन्होंने लगाया।
महाराष्ट्र में बिजली निर्माण परियोजनाओं के आधुनिकीकरण की ओर सरकार जानबूझकर नही देख रही है, ऐसा कहकर श्री केशव उपाध्ये ने कहा कि मार्च से जून के आखिरी तक बिजली की मांग में वृद्धि होती है, ऐसा स्पष्ट होने पर भी परमाणु विद्युत निर्माण परियोजनाओं के लिए कोयले के भरपूर संचय की ओर सरकार ने जानबूझकर ध्यान नहीं दिया। कोयले की कृत्रिम कमी का भान कराकर निजी क्षेत्र से ऊंचे मूल्य पर कोयला की खरीददारी करके निजी क्षेत्र से हित संबंध सहेजने के लिए गरीब उपभोक्ताओं की जेब में हाथ डालने के लिए सरकार द्वारा समस्या से ग्रसित जनता पर बिजली की कमी का नया संकट लादा गया है, ऐसा आरोप भी उन्होंने लगाया। उपभोक्ताओं के हित को प्राथमिकता देने के लिए स्थापित हुआ राज्य विद्युत नियामक आयोग, इस समस्या पर स्वयं ध्यान देकर कमी के संबंध में राज्य सरकार व विद्युत मंडल से जवाब मांगे, ऐसी मांग श्री केशव उपाध्ये ने की।
फडणवीस सरकार के समय में महाराष्ट्र से भारनियमन यह शब्द सीमा के पार हो गया था। अचानक आघाडी सरकार के कामकाज से फिर से बिजली की कमी व भारनियमन लादा जाना आश्चर्यजनक है, फिर भी इसके पीछे का उद्देश्य अब नही छिपा है। निजी क्षेत्र से हित संबंध सहेजने के लिए सरकार आम उपभोक्ताओं की बलि न दे ऐसा आवाहन उन्होंने किया। पड़ोसी राज्यों में अतिरिक्त बिजली का निर्माण हो रहा है ऐसा होने पर भी केवल महाराष्ट्र में बिजली की कमी होती है, यह कैसी गडबडी है, ऐसा प्रश्न भी श्री केशव उपाध्ये ने किया है। सरकारी कार्यालयों का कितना बिजली बिल बाकी है इसका आंकड़ा भी सरकार घोषित करे, ऐसी मांग भी उन्होंने की।
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