आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि यह संस्था पूरी तरह से भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि इस बोर्ड को तत्काल भंग किया जाए और इसके सदस्यों व अधिकारियों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
मंगलवार (16 सितंबर)को जारी बयान में मौलाना रजवी ने कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का फैसला वक्फ संशोधन बिल 2025 पर आया है। यह बिल भारत सरकार लेकर आई थी और संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है। कुछ संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में इस पर रोक लगाने की याचिका डाली थी, लेकिन अदालत ने मुकम्मल स्टे देने से इनकार करते हुए केवल कुछ बिंदुओं पर संशोधन का निर्देश दिया। मौलाना रजवी ने कहा,“हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं। यह देश, समाज और मुसलमानों के हित में है।”
उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड पर सीधे निशाना साधते हुए कहा,“लखनऊ में मशहूर जुमला है कि जो शख्स वक्फ बोर्ड के दरवाजे से अंदर कदम रखता है तो दीवारों से आवाज आती है कि यहां की हर ईंट पैसा मांगती है।” मौलाना का आरोप है कि छोटी-सी मस्जिद, कब्रिस्तान या दरगाह की कमेटी गठित कराने के लिए वर्षों तक चक्कर काटने पड़ते हैं और बिना रिश्वत कोई काम नहीं होता।
मौलाना ने मुख्यमंत्री से अपील की कि करप्शन के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हुए बोर्ड के सभी सदस्यों और अधिकारियों की जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि कई जिलों में इनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं, जिन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
साथ ही, उन्होंने बोर्ड के अध्यक्ष पर भी सवाल उठाए। मौलाना रजवी ने कहा,“बोर्ड के अध्यक्ष लंबे समय से एक ही पद पर काबिज हैं और वे समाजवादी पार्टी के करीबी माने जाते हैं। बसपा शासनकाल में पांच साल, सपा सरकार में पांच साल और अब भाजपा के दोनों कार्यकाल में भी वही अध्यक्ष बने हुए हैं। आखिर ऐसी कौन-सी खूबियां हैं कि अखिलेश यादव के चहेते को 18 साल से पद पर टिकाए रखा गया है?”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आजम खां के साथ मिलकर रामपुर की वक्फ जमीनों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गई थीं।
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