महाराष्ट्र में जारी उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे पर सुप्रीम कोर्ट (SC) की पांच सदस्यीय बेंच ने गुरुवार को शिवसेना
विवाद पर फैसला सुनाते हुए कहा कि यह मामला बड़ी बेंच को भेजने का फैसला किया है। यानी अब इस मामले की सुनवाई सात जजों की बेंच करेगी। सीजेआई ने कहा कि अरुणाचल का नेबाम राबिया मामला अलग था। इसलिए उसके आधार पर इस मामले पर विचार नहीं किया जा सकता है। इस दौरान सुप्रीम ने यह भी कहा कि 16 विधायकों के अपात्र का मामला विधानसभा के स्पीकर देखेंगे। जिस तरह से कहा जा रहा था कि सुप्रीम कोर्ट 16 विधायकों को अपात्र घोषित करेगी, लेकिन माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक लक्ष्मण रेखा के तहत इस पर फैसला नहीं ले सकती है।
बता दें कि जून 2022 में शिवसेना के 16 विधायकों ने बगावत कर दी थी। जिसके बाद उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी। इसके बाद उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने 11 माह बाद सात सदस्यीय बेंच को भेजने का निर्णय लिया है। अदालत ने कहा कि अभी इस मामले पर और विचार किया जाना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने शिंदे के एक फैसले पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने कहा कि विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान के दौरान शिंदे गुट द्वारा भारत गोगवाले को चीफ व्हिप बनाया जाना अवैध है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट कराये जाने पर भी सवाल किया है। कोर्ट ने कहा कि शिवसेना में आंतरिक कलह था ऐसे में फ्लोर टेस्ट करना सही नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंतरिक कलह के आधार पर विश्वास मत प्रस्ताव कराया जाना ठीक नहीं है। फ्लोर टेस्ट नियम के अनुसार ही होना चाहिए। कोर्ट ने यहां कहा कि विधानसभा स्पीकर को उसी को शिवसेना का व्हिप माना जाना चाहिए जिसे आधिकारिक तौर पर पार्टी ने घोषित किया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि स्पीकर को पता था कि दो गुट है बावजूद इसके स्पीकर ने अपने पसन्द के व्हिप को मान्यता दी। उन्हें आधिकारिक व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए थी।
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