महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारे में उत्पन्न हुई सियासी संकट से जुड़ीं उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुटों द्वारा दाखिल की गई याचिकाओं पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 29 नवंबर तक के लिए टाल दिया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने वकीलों को आदेश दिया कि चार हफ्ते में इस मामले की पूरी जांच पड़ताल करने के बाद इससे संबंधित प्रमुख मुद्दे तैयार कर लें। सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट से जुड़े कुछ मुद्दों पर विचार के लिए एक बड़ी संवैधानिक पीठ की आवश्यकता हो सकती है।
फिलहाल शिवसेना के दोनों गुटों द्वारा दायर की गई विभिन्न याचिकाएं शीर्ष अदालत के समक्ष रखी गई हैं। इस पाँच सदस्यीय संविधान पीठ में जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा के नाम शामिल हैं। हालांकि इससे पहले शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को यह फैसला करने की अनुमति प्रदान कर दी थी कि उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट में से किसको वास्तविक शिवसेना के रूप में मान्यता दी जाए और धनुष-बाण का चुनाव चिह्न आवंटित किया जाए।
29 जून को शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करने की हरी झंडी दे दी थी। वहीं महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सदन के पटल पर अपना बहुमत समर्थन साबित करने के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद शीर्ष अदालत के आदेशानुसार, उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफे की घोषणा की और एकनाथ शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके नेतृत्व में शिवसेना के एक गुट ने बगावट कर दी थी। तभी से महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुटों के बीच इस बात को लेकर खींचतान चल रही है कि असली शिवसेना कौन है?
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