श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से जुड़े दो महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई, जहां हिंदू पक्ष की ओर से केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पक्षकार बनाने की मांग पर चर्चा हुई। अब इन मामलों पर अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध पहले मामले में मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने एएसआई और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की अनुमति दी थी। यह आदेश हिंदू पक्ष के संशोधन आवेदन के आधार पर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मामला 8 अप्रैल तक स्थगित कर दिया।
दूसरे मामले के संबंध में जैन ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े 15 मुकदमों को एक साथ जोड़ दिया था, जिसे मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, कोर्ट ने पहले मस्जिद कमेटी की विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया था और हाईकोर्ट में रिकॉल आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने 23 अक्टूबर को वह आवेदन भी खारिज कर दिया था। अब मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी पुरानी एसएलपी को पुनर्जीवित करने के लिए आवेदन दिया है, जिस पर नोटिस जारी किया गया है और इसे संबंधित मामलों के साथ सूचीबद्ध किया गया है।
इस मामले को लेकर हिंदू पक्ष का जोर है कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक पहलुओं की जांच आवश्यक है, और इसके लिए एएसआई तथा केंद्र सरकार की भूमिका अहम मानी जा रही है। कोर्ट में यह दलील दी गई है कि जन्मभूमि की ऐतिहासिकता और विवाद की निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए इन दोनों पक्षों को शामिल किया जाना जरूरी है।
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मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर वर्षों से विवाद चला आ रहा है। यह मामला अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद की तरह संवेदनशील माना जाता है और धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व रखता है। 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में अब यह देखा जाएगा कि क्या एएसआई और केंद्र सरकार को औपचारिक रूप से पक्षकार बनाया जाएगा या नहीं।