सुप्रीम कोर्ट: किसानों की शिकायतों के लिए समिति गठित करेगा; दो सितंबर तक टली सुनवाई!

सुप्रीम कोर्ट की गठित पीठ ने 12 अगस्त को दोनों राज्यों की सरकारों से कहा कि वे प्रदर्शनकारी किसानों से अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों को राजमार्ग से हटाने के लिए बातचीत करे|कोर्ट ने यह भी कहा कि राजमार्ग पार्किंग स्थल नहीं हैं|  

सुप्रीम कोर्ट: किसानों की शिकायतों के लिए समिति गठित करेगा; दो सितंबर तक टली सुनवाई!

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लंबे समय से अपनी मांगों लेकर आंदोलनरत किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिए सुप्रीम जल्द ही एक समिति गठित करेगा|सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों से कि वे समिति को किसानों से संबंधित सभी महत्वपूर्ण व संभावित मुद्दों को स्पष्ट करे| फ़िलहाल न्यायमूर्ति सूर्यकान्त, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर तय की है| 

बता दें कि शंभू सीमा पर प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं। हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिकेड्स लगाए थे, जब ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ (गैर-राजनीतिक) और ‘किसान मजदूर मोर्चा’ ने अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली तक मार्च करने का एलान किया था। किसान संगठनों की मांग है कि उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी दी जाए।

गौरतलब है कि शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट को हरियाणा और पंजाब सरकार ने बताया की प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत की, इस दौरान किसानों ने शंभू बॉर्डर राजमार्ग को आंशिक रूप से खोलने पर अपनी सहमति जताई|सुप्रीम कोर्ट की गठित पीठ ने 12 अगस्त को दोनों राज्यों की सरकारों से कहा कि वे प्रदर्शनकारी किसानों से अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों को राजमार्ग से हटाने के लिए बातचीत करे|कोर्ट ने यह भी कहा कि राजमार्ग पार्किंग स्थल नहीं हैं|  

कोर्ट हरियाणा सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने अंबाला के पास शंभू सीमा पर सरकार द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को एक सप्ताह के भीतर हटाने के लिए कहा गया था।

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