कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे की आत्मकथा में स्वतंत्रता सेनानी सावरकर की तारीफ की गई है|सुशील कुमार शिंदे कांग्रेस के बड़े नेता हैं| वह केंद्रीय गृह मंत्री भी रह चुके हैं।वह महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं।इसके अलावा वह कुछ समय तक राज्यपाल के रूप में भी काम कर चुके हैं| इसलिए, जैसा कि सावरकर की आत्मकथा में उनकी प्रशंसा की गई है, कांग्रेस अब दुविधा में पड़ सकती है। सावरकर का मुख्य प्रयास छुआछूत और जातिवाद को समाप्त करना था। सावरकर एक वैज्ञानिक थे और सावरकर की संकीर्ण सोच एक चुनौती है| सुशील कुमार शिंदे ने अपनी आत्मकथा में कहा, कांग्रेस की विचारधारा में सुधार की जरूरत है।
सुशील कुमार शिंदे की आत्मकथा वास्तव में क्या कहती है?: “मेरे मन में सावरकर के प्रति बहुत सम्मान है। इसलिए 1983 में मैं नागपुर में स्वतंत्रता सेनानी सावरकर की प्रतिमा के कार्यक्रम में शामिल हुआ| मैं सावरकर के समर्थन वाले मुद्दों पर अडिग रहा| सावरकर ने छुआछूत और जातिवाद को खत्म करने के लिए बहुत प्रयास किये।चूंकि मैं स्वयं पिछड़े वर्ग से हूं, इसलिए सावरकर के प्रयासों का विशेष महत्व महसूस करता हूं।
सावरकर के मुद्दे पर आते हुए, मुझे आश्चर्य है कि उनकी हिंदुत्व विचारधारा पर इतना जोर क्यों दिया जाता है। क्योंकि उनके व्यक्तित्व के कई पहलू हैं”, सुशील कुमार शिंदे कहते हैं।
“क्या हम सावरकर में दार्शनिक और वैज्ञानिक नहीं देख सकते?, सावरकर वास्तविक सामाजिक, समानता और दलितों के उद्धार के लिए खड़े थे। सावरकर की संकीर्ण सोच हमारे सामने चुनौती है| सुशील कुमार शिंदे ने अपनी आत्मकथा में कहा, लंबे समय तक राजनीति में काम करने के बाद मुझे लगता है कि कांग्रेस की विचारधारा में सुधार की जरूरत है।
क्या कांग्रेस संकट में होगी?: सुशील कुमार शिंदे की आत्मकथा ‘फाइव डिकेड्स इन पॉलिटिक्स’ हाल ही में प्रकाशित हुई है। ये आत्मकथा कांग्रेस में अच्छी चर्चा का कारण बन गई है| कांग्रेस को कैसे आगे बढ़ना चाहिए, इस पर सुशील कुमार शिंदे ने सख्त राय जाहिर की है| वहीं सावरकर को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी का रुख जगजाहिर है| ऐसे में कांग्रेस का असमंजस में पड़ना स्वाभाविक है|
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