संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की तमिलनाडु यूनिट ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानून बनवाने की मांग को लेकर 19 मार्च को तेनकासी में एक बड़ा प्रदर्शन करने की घोषणा की है। यह प्रदर्शन संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्र सरकार के बीच चंडीगढ़ में होने वाली तीसरी दौर की वार्ता के साथ एकजुटता दिखाने के लिया किया जाएगा।
एसकेएम की तमिलनाडु यूनिट के नेता पीआर पांडियन ने कहा कि इस प्रदर्शन में तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में किसान शामिल होने जा रहें है। यह प्रदर्शन एमएसपी के कानूनी रूप से बनाने की मांग को लेकर चल रहे व्यापक आंदोलन का हिस्सा है, जो देशभर के किसानों की लंबी समय से चली आ रही मांग है।
पीआर पांडियन ने एसकेएम नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की 100 दिनों से अधिक समय से चल रही भूख हड़ताल पर गहरी चिंता व्यक्त की और चेतावनी दी कि यदि सरकारी लापरवाही के कारण डल्लेवाल को कुछ हुआ, तो इससे पूरे देश में अकल्पनीय दंगे भड़क सकते हैं। पांडियन ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से केंद्र सरकार पर एमएसपी को वैध बनाने के लिए दबाव बनाने का भी आग्रह किया, जिससे पूरे भारत में लाखों किसानों को लाभ होगा।
केंद्र सरकार पहले ही इस संबंध में दिल्ली में एसकेएम के प्रतिनिधियों के साथ दो दौर की वार्ता कर चुकी है। हालांकि, इन चर्चाओं से कोई ठोस उपाय नहीं निकला और न ही किसान नेता अपनी अवांछित मांग छोड़ने के लिए तैयार है। तीसरे दौर की वार्ता 19 मार्च को चंडीगढ़ में होगी, जहां एसकेएम के सदस्य एक बार फिर अपनी मांगों को उठाएंगे।
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5 मार्च को एसकेएम की तमिलनाडु इकाई ने दिल्ली में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के समर्थन में तंजावुर जिले में भूख हड़ताल की थी, जिसे ‘तमिलनाडु के चावल का कटोरा’ कहा जाता है। दिल्ली में 26 नवंबर 2024 से शुरू हुआ आंदोलन एमएसपी को कानूनी बनाने सहित कई मांगों के लिए चल रहा है। दरअसल केंद्र सरकार को इस मांग को पूरा करने से बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है, और हरियाणा, पंजाब के किसान अपनी सहूलियत के अनुसार केवल मक्का, गेहूं और चावल उगा कर फसल केंद्र सरकार के सिर मढ़ सकते है। बता दें की केंद्र सरकार की ओर से एमएसपी के क़ानूनी क्रियान्वयन को लेकर कभी भी आश्वासन नहीं दिया, जबकि भाजपा सरकार ने किसानों को एमएसपी की गारंटी दी है।
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