तमिलनाडु: दुनिया के ब्रिजों में शुमार ‘पंबन ब्रिज’!, पीएम ने किया उद्धघाटन!
अब यह नया ब्रिज अमेरिका के गोल्डन गेट ब्रिज, लंदन का टावर ब्रिज और डेनमार्क-स्वीडन को जोड़ने वाला ओरेसुंड ब्रिज जैसे दुनिया के अन्य मशहूर ब्रिज की श्रेणी में गिना जा रहा है। अब नया पंबन ब्रिज भी इन प्रतिष्ठित ब्रिज की कतार में शामिल हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के रामेश्वरम में भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट समुद्री ब्रिज पंबन का उद्घाटन करने वाले हैं। इस नए रेलवे ब्रिज को लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही है। समुद्र के ऊपर बना यह रेलवे ब्रिज अतीत और भविष्य को जोड़ता है। इसे रामनवमी के दिन जनता को समर्पित किया गया।
पीएम मोदी रविवार को नए पंबन रेलवे पुल को देश को समर्पित करेंगे। वे रामेश्वरम से तांब्रम (चेन्नई) के बीच एक नई ट्रेन सेवा को भी हरी झंडी दिखाएंगे। साथ ही एक तटरक्षक जहाज को भी रवाना करेंगे। जैसे ही पुल का वर्टिकल लिफ्ट हिस्सा ऊपर उठेगा, यह जहाज उसके नीचे से गुजरेगा। यह इस पुल के परिचालन तकनीक का प्रदर्शन होगा।
इस पंबन ब्रिज का सांस्कृतिक महत्व भी है। रामायण के अनुसार, भगवान राम की सेना ने राम सेतु का निर्माण रामेश्वरम के नजदीक धनुषकोडी से शुरू किया था। नया पंबन रेलवे ब्रिज रामेश्वरम द्वीप को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है और यह वैश्विक मंच पर भारतीय इंजीनियरिंग की एक बड़ी उपलब्धि है।
इसकी लागत 550 करोड़ रुपये से अधिक है। यह ब्रिज 2.08 किलोमीटर लंबा है। इसमें 99 स्पैन (खंभों के बीच की दूरी) हैं और इसका लिफ्टिंग हिस्सा 72.5 मीटर लंबा है, जो 17 मीटर ऊंचाई तक उठ सकता है।
इससे बड़े जहाज आसानी से गुजर सकते हैं और ट्रेन सेवा भी बिना बाधा जारी रह सकती है। ब्रिज को मजबूत बनाने के लिए इसमें स्टेनलेस स्टील, विशेष सुरक्षात्मक पेंट और वेल्डेड जोड़ का इस्तेमाल किया गया है। इससे इसकी ताकत और उम्र बढ़ गई है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसमें दो रेलवे ट्रैक की व्यवस्था की गई है। समुद्री हवा से होने वाले जंग से बचाव के लिए इसमें खास पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग की गई है।
पहला पंबन ब्रिज 1914 में ब्रिटिश इंजीनियरों ने बनाया था। यह एक कैंटिलीवर (धातु या लकड़ी का एक लंबा टुकड़ा जो पुल के अंत को सहारा देने के लिए दीवार से बाहर निकलता है) डिजाइन का ब्रिज था। इसमें एक शेरजर रोलिंग लिफ्ट हिस्सा था। यह समुद्र में खुलकर जहाजों को रास्ता देता था।
एक सदी से अधिक वक्त तक यह ब्रिज तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों और व्यापारियों के लिए जीवनरेखा की तरह काम करता रहा। लेकिन समुद्री माहौल से नुकसान और बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए सरकार ने फरवरी 2019 में नए तकनीकी और मजबूत पंबन ब्रिज के निर्माण की मंजूरी दी।
नए पंबन ब्रिज का निर्माण रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने किया है। यह रेल मंत्रालय के अधीन एक नवरत्न कंपनी है। ब्रिज निर्माण के दौरान पर्यावरणीय प्रतिबंध, समुद्र की तेज लहरें, तेज हवाएं और खराब मौसम जैसी कई चुनौतियां आईं। यह इलाका चक्रवात और भूकंप के लिए संवेदनशील है, इसलिए इंजीनियरों ने बहुत सोच-समझकर मजबूत डिजाइन तैयार किया।
अब यह नया ब्रिज अमेरिका के गोल्डन गेट ब्रिज, लंदन का टावर ब्रिज और डेनमार्क-स्वीडन को जोड़ने वाला ओरेसुंड ब्रिज जैसे दुनिया के अन्य मशहूर ब्रिज की श्रेणी में गिना जा रहा है। ये सब ब्रिज अपने तकनीकी डिजाइन और इंजीनियरिंग के लिए जाने जाते हैं। अब नया पंबन ब्रिज भी इन प्रतिष्ठित ब्रिज की कतार में शामिल हो गया है। इसमें आधुनिक तकनीक के साथ भारत के समुद्री और भूकंपीय हालात से कामयाबी के साथ निपटने की सामर्थ्य है।
वर्टिकल लिफ्ट पुल ऐसा पुल होता है, जिसे जरूरत पड़ने पर पानी की सतह से ऊपर उठाया जा सके। वर्टिकल पुल को ऊपर उठाने पर उस जगह से पानी के बड़े जहाज आसानी से गुजर सकेंगे। यह 72.2 मीटर चौड़ा समुद्र मार्ग है। पुल के एक लेन में असानी से दो ट्रक एक साथ आ-जा सकेंगे। इस पुल को 17 मीटर ऊपर तक उठाया जा सकेगा।
यह पुल पुराने पुल के मुकाबले 3 मीटर ऊंचा बना है। इस पुल को टिकाऊ बनाने के लिए इसमें स्टीलनेस स्टील का इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही इसे सुरक्षित तरीके से पेंट भी किया गया है। इस पुल के शुरू होने से रेलवे को भी अपने यातायात सुचारु बनाने में मदद मिलेगी। पुल से भारी व तेज रेलगाड़ियां भी आसानी से पार कर सकेंगी।