सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा कि राज्यपाल किसी विधेयक को रोक नहीं सकते और न ही किसी विधेयक पर वीटो या पॉकेट वीटो कर सकते है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल या तो विधेयक को मंजूरी दे सकते हैं या फिर उस विधेयक को राष्ट्रपति के पास विचार करने के लिए भेज सकते हैं।
पीठ ने कहा कि राज्यपाल सहमति को रोककर पूर्ण वीटो या पॉकेट वीटो की अवधारणा को नहीं अपना सकते। पीठ ने आगे कहा कि राज्यपाल एक ही रास्ता अपनाने के लिए बाध्य है – विधेयकों पर सहमति देना, या बिल को रोकना और राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करना।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्यपाल के पास ये विकल्प नहीं है कि वह विधेयक को दूसरी बार राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद विचार के लिए रोके। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को दूसरे दौर में उनके समक्ष प्रस्तुत विधेयकों पर अपनी सहमति देनी होगी और एकमात्र अपवाद यह होगा कि दूसरे दौर का विधेयक पहले दौर के विधेयक से भिन्न हो।
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