बिलकुल, नीचे पेश है एक संतुलित, तथ्य-आधारित समाचार संपादन जिसमें तेजस्वी यादव के बयान को शामिल करते हुए वक्फ संशोधन विधेयक 2024 की सटीक जानकारी भी दी गई है — बिना किसी प्रत्यक्ष आलोचना या पक्षपात के:
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शनिवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनती है, तो इस विधेयक को बिहार में लागू नहीं होने दिया जाएगा। तेजस्वी ने इसे संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन बताया और कहा कि राजद इस मुद्दे को सदन से लेकर अदालत तक उठाएगी।
पटना में पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा, “जब हमारी सरकार बनेगी, तो वक्फ संशोधन विधेयक को कूड़ेदान में फेंक देंगे। यह मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर सीधा हमला है। हम इस बिल को हर मंच पर चुनौती देंगे।”
तेजस्वी यादव ने दावा किया कि राष्ट्रीय जनता दल ने संसद में इस विधेयक का जोरदार विरोध किया और इसके खिलाफ वोट भी दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस संविधान विरोधी कार्यों में लिप्त हैं और देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने जिस अनुच्छेद 26 का उल्लेख किया, वह भारत के नागरिकों को धार्मिक संस्थाएं संचालित करने और प्रबंधन का अधिकार देता है। हालांकि, कानून यह भी कहता है कि ऐसे अधिकार सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन हैं। वक्फ संशोधन विधेयक इन्हीं सीमाओं के भीतर पारदर्शिता और वैधता सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास करता है।
तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा और कहा कि “इतने महत्वपूर्ण विषय पर मुख्यमंत्री एक भी शब्द नहीं बोल रहे हैं। उनकी चुप्पी से स्पष्ट है कि सरकार किस दिशा में काम कर रही है।”
उन्होंने भाजपा पर भी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों के अधिकारों को रोकने का आरोप लगाया और कहा कि वक्फ विधेयक के साथ-साथ आरक्षण के मुद्दों पर भी इन वर्गों को सतर्क रहने की जरूरत है।
बता दें की, वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करते हुए प्रस्तुत वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में कई महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़े गए हैं, जिनका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। इस विधेयक के तहत अब किसी भी सरकारी या निजी भूमि को वक्फ घोषित करने के लिए प्रमाणिक दस्तावेज़ प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। बिना वैध दस्तावेजों के किसी सार्वजनिक या निजी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त, यदि वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति पर अधिकार जताता है तो उसे अपने दावे के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे। विधेयक में यह भी प्रावधान है कि विवादित संपत्तियों से जुड़े मामलों के लिए एक निश्चित समयसीमा तय की जाएगी, ताकि दशकों तक चलने वाले मुकदमे सीमित किए जा सकें और न्यायिक प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब न हो।
विधेयक में यह भी प्रावधान शामिल है कि राज्य और केंद्र सरकारों को वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली पर निगरानी रखने और उनमें पारदर्शिता लाने के लिए अधिकृत किया गया है। यह संशोधन न केवल वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है बल्कि उन पर अनावश्यक या अवैध कब्जों और मनमानी घोषणाओं पर भी नियंत्रण लगाने का प्रयास करता है। कुल मिलाकर, वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का मूल उद्देश्य सार्वजनिक संसाधनों की रक्षा करते हुए संविधान सम्मत और पारदर्शी तंत्र को सुदृढ़ करना है।
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