मुंबई। देश के सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट द्वारा मराठा आरक्षण को रद्द किए जाने के फैसले से महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार के हाथपांव फुल रहे हैं। अपनी छवि बचाने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल रहे हैं। मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा है कि अब मराठा आरक्षण के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तत्काल फैसला करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पहले केंद्र सरकार ने शाह बानो मामले, एट्रोसिटी कानून और अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बारे में तत्परता से फैसला लिया है। इसके लिए संविधान में संशोधन किया गया । अब केंद्र सरकार वही गति मराठा आरक्षण के मामले में दिखाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार को आरक्षण के बारे में फैसला लेने का अधिकार नहीं है। शीर्ष अदालत ने गायकवाड समिति की सिफारिशों के आधार पर राज्य सरकार की ओर से लिए गए फैसले को कचरे की टोकरी दिखाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण के बारे में फैसला लेने का अधिकार राज्य को नहीं बल्कि केंद्र सरकार और राष्ट्रपति को है। यह आदेश एक प्रकार से छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र का मार्गदर्शन है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मराठा आरक्षण के बारे में फैसला लेने का अधिकार प्रधानमंत्री को है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत नहीं किया जा सकता है। लेकिन इस फैसले को लेकर कोई महाराष्ट्र का वातावरण बिगाड़ने का प्रयास न करे। कोई जनता को भड़काने का प्रयास न करे। सरकार मराठा आरक्षण के लिए कानूनी लड़ाई जीत मिलने तक जारी रखेगी। उद्धव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मराठा आरक्षण को रद्द किया जाना राज्य के किसान, मेहनतकश समाज का दुर्भाग्य है।
निराशजनक फैसला हैः उपमुख्यमंत्री
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मराठा आरक्षण को रद्द करने के फैसले को अप्रत्याशित, अकल्पनिय और निराशजनक बताया है। अजित ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर राज्य सरकार अगला कदम उठाने के बारे में फैसला करेगी। देश के कई राज्यों में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक होते हुए भी मराठा आरक्षण के बारे में विचार न होना कल्पना से परे है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो नकारा है उसकी भरपाई जिस भी मार्ग से संभव होगा उसको करने के लिए सरकार प्रयासरत रहेगी।