क्या है कोर्ट का फैसला? : एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर अहम आदेश पारित किया। इसके मुताबिक चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर संसद से कानून बनाने को कहा गया है| साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया है कि केंद्रीय चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति के माध्यम से प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश की एक समिति द्वारा की जाएगी। जहां इस फैसले की बड़ी चर्चा हो रही है वहीं अब ठाकरे गुट ने समाना अखबार से इस पर आलोचना की है|
“शासकों के चरणों में सरीसृप की तरह …” : सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लोकतंत्र के लिए वरदान है। “न्यायाधीश जोसेफ और उनके साथ अन्य न्यायाधीशों ने देश के लोकतंत्र के लिए वरदान साबित किया है और आने वाली पीढ़ियां उन्हें याद रखेंगी। मौजूदा चुनाव आयोग का भी यही हाल है। वे बिना रीढ़ की हड्डी वाले और शासकों के चरणों में सरीसृप की तरह हैं। आयोग की निर्णय लेने की प्रक्रिया भ्रष्ट है और सरकार निर्णयों को भ्रष्ट करने के लिए विवादास्पद व्यक्तियों को नियुक्त करती है।”