सुप्रिया सुले ने कहा, ”हर किसी की जिम्मेदारियां हैं|मनुष्य सब कुछ नहीं कर सकता| बच्चों, पति, परिवार के लिए अक्टूबर तक का समय नहीं है। निर्वाचन क्षेत्र देखना है, पार्टी का काम देखना है या फिर कोर्ट केस देखना है| इन कामों के लिए शरद पवार खुद जाते हैं| हालाँकि, यह आत्मा का नहीं, मन का है। मैं 80 साल के पिता को अकेले कोर्ट नहीं जाने दूंगा|”
“मतदाताओं का आधा समय मुकदमे लड़ने में व्यतीत होता है”: मतदाताओं का आधा समय मुकदमे लड़ने में व्यतीत होता है। वह पहली बार सुप्रीम कोर्ट गये हैं| हारेंगे या जीतेंगे, बाद में देखेंगे, मगर लगेंगे ज़रूर। हमसे कहा जाता है कि कोर्ट की सीढ़ियां न चढ़ें| हालाँकि, हम चढ़ गए। सुप्रिया सुले ने कहा, अब, एक बार जब आप अदालत की सीढ़ियों पर कदम रखते हैं, तो आप नीचे नहीं उतरना चाहते।
इस बीच दावा किया जा रहा है कि शरद पवार ओबीसी हैं| हालांकि, शरद पवार गुट की ओर से इस दावे का खंडन किया गया है| शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह दावा मूल रूप से हास्यास्पद है| सुप्रिया सुले ने कहा, ”क्या आपने उस कंपनी का नाम देखा है? यह बचकानापन चल रहा है”, सुप्रिया सुले ने कहा। “पूरी बात हास्यास्पद है। शरद पवार 10वीं कक्षा में थे, उस समय अंग्रेजी में सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता था| क्या पवार का प्रमाणपत्र अंग्रेजी में हो सकता है, जब वह 10वीं कक्षा में थे? आजकल बाजार में नकली प्रमाणपत्र आम बात है।”
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