संसद में सांसदों का पहली बार निलंबन कब हुआ था? निलंबित होने वाले पहले सांसद कौन थे?

सांसदों के निलंबन का इतिहास 60 साल से भी अधिक पुराना है। गोडे मुराहारी संसद से निलंबित होने वाले पहले सांसद हैं। वह उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्दलीय चुने गए। 3 सितंबर 1962 को मुराहारी को निलंबित कर दिया गया। आपत्तिजनक व्यवहार के कारण उन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया।

संसद में सांसदों का पहली बार निलंबन कब हुआ था? निलंबित होने वाले पहले सांसद कौन थे?

When was the first suspension of MPs in Parliament? Who was the first MP to be suspended?

देश में संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है| इस सत्र में पिछले तीन-चार दिनों में कुल 143 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है| यह कार्रवाई आपत्तिजनक बयान देने के मामले में की गई है|कब शुरू हुआ सांसदों का निलंबन? पहला निलंबन कब हुआ था? इस मौके पर ऐसे सवाल सामने आते हैं|सांसदों के निलंबन का इतिहास 60 साल से भी अधिक पुराना है। गोडे मुराहारी संसद से निलंबित होने वाले पहले सांसद हैं। वह उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्दलीय चुने गए। 3 सितंबर 1962 को मुराहारी को निलंबित कर दिया गया। आपत्तिजनक व्यवहार के कारण उन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया।

कौन हैं गोडे मुराहारी?: गोडे मुराहारी का जन्म 20 मई 1926 को हुआ था। मोराहरि 1962 से 1968, 1968 से 1974 और 1974 से 1977 तक तीन बार राज्यसभा के लिए चुने गए। वह 1972 से 1977 तक राज्यसभा के उपसभापति भी रहे। मुराहारी को एक बार नहीं बल्कि दो बार निलंबित किया गया था| 25 जुलाई 1966 को उन्हें निलंबित भी कर दिया गया। उनके साथ सांसद राज नारायण को भी एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया गया| सदन के नेता एम.सी. पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, छगला ने निलंबन का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने मंजूरी दे दी।

इन दोनों सांसदों ने निलंबित होने के बाद सदन छोड़ने से इनकार कर दिया, इसलिए मार्शल को बुलाना पड़ा|मार्शल दोनों सांसदों को उठाकर हॉल से बाहर ले गये|अगले दिन स्पीकर ने घटना पर चिंता व्यक्त की|राज नारायण ने 1977 में इंदिरा गांधी को हराया था| इसके अलावा इससे पहले उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ केस भी जीता था| राज नारायण को दो बार निलंबित भी किया गया था|12 अगस्त 1971 को उन्हें दूसरी बार निलंबित कर दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री ओम मेहता ने निलंबन का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने मंजूरी दे दी|
इस बार भी राज नारायण ने सभागार से बाहर जाने से इनकार कर दिया, जिसके कारण उन्हें मार्शलों ने उठाकर बाहर ले जाया गया| राज्यसभा में सभापति द्वारा नामों की घोषणा के बाद सदन निलंबन की कार्रवाई का समर्थन करता है,जबकि लोकसभा में आपत्तिजनक व्यवहार के बाद स्पीकर निलंबन की कार्रवाई करते हैं|
1989 में जस्टिस ठक्कर कमेटी की रिपोर्ट पटल पर पेश होने के बाद बड़ा हंगामा हुआ|इस समय लोकसभा से 63 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया। फिर 2015 में लोकसभा में दुर्व्यवहार करने पर 25 सांसदों को निलंबित कर दिया गया|1989 के ऑपरेशन के बाद यह सबसे बड़ा ऑपरेशन माना जा रहा था। लेकिन उसके बाद 2023 में होने वाली कार्रवाई सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है|
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