झारखंड की राजनीति में एक बार फिर तूफान खड़ा होता दिखाई दे रहा है| बताया जा रहा है कि झारखंड सरकार में मंत्री नहीं बनने से कांग्रेस के कुछ विधायक काफी नाराज हैं| इन असंतुष्ट विधायकों की संख्या 12 है| उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह पार्टी नेताओं से संवाद करेंगे और अपना पक्ष रखेंगे| दिलचस्प बात यह है कि राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों के बेंगलुरु जाने की भी चर्चा है|
झारखंड में पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक घटनाक्रम तेज हो गया है| झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है| ईडी की कार्रवाई के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा| उनके इस्तीफे के बाद बड़ी नाटकीय घटनाएं घटीं| ये घटनाक्रम राज्यपाल द्वारा सरकार के गठन का प्रस्ताव देने से लेकर सरकार के गठन और मंत्रिमंडल विस्तार तक जारी है|
उसके बाद अब भी ऐसे ही आंदोलन हो रहे हैं| झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री हैं। लेकिन जानकारी सामने आई है कि उनकी सरकार में विधायकों के बीच असमंजस की स्थिति है| चर्चा है कि कांग्रेस के 12 विधायक मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज हैं, लेकिन फिर भी चंपई सोरेन की सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, ऐसा खुद चंपई सोरेन ने कहा| चंपई सोरेन ने कहा है कि हमारा गठबंधन मजबूत है|
चंपई सोरेन ने और क्या कहा?: जब चंपई सोरेन से कांग्रेस विधायकों की नाराजगी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस का आंतरिक मामला है| उन्होंने इस पर ज्यादा टिप्पणी करने से बचते दिखाई दिए|यह कांग्रेस का आंतरिक मामला है। वे इसका पता लगा लेंगे| मैं इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता|झामुमो और कांग्रेस के बीच कोई विवाद नहीं है| चंपई सोरेन ने कहा, सब कुछ ठीक चल रहा है।
क्या है कांग्रेस विधायकों की नाराजगी की असली वजह?: 12 कांग्रेस विधायकों ने मांग की है कि कैबिनेट में शामिल कुछ मंत्रियों की जगह नए चेहरों को मौका दिया जाए। कांग्रेस विधायकों ने चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो वे 23 फरवरी से शुरू होने वाले आगामी विधानसभा सत्र का बहिष्कार करेंगे और जयपुर जाएंगे| सूत्रों के मुताबिक, बताया जा रहा है कि कांग्रेस विधायकों का एक बड़ा समूह आलमगीर आलम, रामेश्वर उराँव, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख को दोबारा मंत्री बनाये जाने से नाखुश है।
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