भारतीय पुरातत्व विभाग ने सोमवार (15 जुलाई) ने इंदौर के हाईकोर्ट में भोजशाला के सर्वेक्षण की रिपोर्ट दी है। इस सर्वेक्षण अहवाल में साफ तौर पर विवादित जगह पर हिंदू मंदिर होने की बात को प्रमाणित किया है। अब इस प्रकरण में 22 जुलाई को न्यायलय का निर्णय दिया जाने वाला है।
दरसल 1909 में ही धार के संस्थान ने इस जगह को संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया था। बाद में भारतीय पुरातत्व विभाग के पास इसके देखभाल के लिए दे दिया गया। 1935 में धार संस्थान ने यहां शुक्रवार की नमाज अदा करने की अनुमति दी थी। 1955 में इस पर विवाद हुआ जिसके चलते प्रशासन ने इस मंदिर में मंगलवार को पूजा और शुक्रवार को नमाज करने की अनुमती दी थी।
इस मामले में हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस ने भोजशाला सरस्वती देवी का मंदिर होने की वजह से यहाँ सरस्वती देवी की मूर्ति स्थापित करने और सम्पूर्ण संकुल की वीडियोग्राफ़ी करवाने की याचिका इंदौर उच्च न्यायलय में दर्ज की थी। इसी याचिका में नमाज़ बंद करवाने की मांग उठायी गई थी। याचिका के बाद इंदौर के उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व विभाग को भोजशाला और उससे जुड़े 500 मीटर के परिघ में वैज्ञानिक सर्वेक्षण करवाने के आदेश दिए थे।
न्यायलय के आदेश अनुसार 22 मार्च से इस परिक्षण की शुरुवात हुई जो की 27 जून तक चला। इस सर्वेक्षण के दौरान एक भी दिन की छुट्टी नहीं ली गई। इस 98 दिन के परिक्षण में अनेक भागों में सर्वेक्षण किया गया है। इस सर्वेक्षण का फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की गई है। इस सर्वेक्षण में जीपीएस और ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार तकनीक का इस्तेमाल किया गया। अब पुरातत्व विभाग ने भोजशाला सर्वेक्षण की 2000 पन्नों की रिपोर्ट इंदौर के उच्च न्यायालय के अधीन की है।
इस रिपोर्ट के अनुसार सर्वेक्षण के दौरान खुदाई में 1700 से ज्यादा पुरातत्व अवशेष मिले। इसमें 37 देवी-देवताओं की मूर्तियां भी शामिल हैं। खुदाई में मिली सबसे खास मूर्ति मां वाग्देवी की खंडित मूर्ति है। इसके अलावा यहां भगवान कृष्ण, जटाधारी भोलेनाथ, हनुमान, शिव, ब्रह्मा, वाग्देवी, भगवान गणेश, माता पार्वती, भैरवनाथ आदि की मूर्तियां हैं।
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